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पत्रिका कीनोट सलोन में अमूल के एमडी की सलाह- कंपनियां गलती कर रहीं, यह मार्केटिंग और ब्रांडिंग का सही समय

सोढ़ी ने कहा, एफएमसीजी कंपनियां देश की आबादी की जरूरत को देखकर बनाएं प्रोडक्ट, कोई मंदी नहीं आएगी
 

Apr 28, 2020 / 11:48 am

Prashant Jha

नई दिल्ली। पत्रिका कीनोट सलोन में एफएमसीजी और फूड कंपनियों के भविष्य को लेकर चर्चा करते हुए अमूल के एमडी आरएस सोढ़ी ने कहा कि अभी सही जरूरत है कि हम अपने ब्रांड की मार्केटिंग करें, न कि डरकर छुपकर बैठ जाएं। इस समय कंपनियां बहुत बड़ी गलती कर रही है जो ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर ध्यान नहीं दे रही। जब तक आप अपने सामान की ब्रांडिंग नहीं करेंगे, लोगों को पता कैसे लगेगा। इसलिए इस पर ध्यान देने की जरूरत है। हमने अपना बजट लॉकडाउन के दौरान दोगुना किया है। यह खाली समय है जब हम अपने ग्राहकों को अपनी बात अच्छे से पहुंचा सकते हैं।

सोमवार को पत्रिका कीनोट सलोन में पत्रिका समूह के दर्शकों और पाठकों के सवालों का जवाब दे रहे थे। मॉडरेशन में पत्रिका समूह के नेशनल मार्केटिंग हेड सौरभ भंडारी भी शामिल हुए। इस मौके पर अमूल के एमडी आरएस सोढ़ी ने कहा कि पोस्ट कोविड के बाद जीवनशैली में बदलाव दिखेगा, क्योंकि शुरुआती दौर में आवाजाही कम होगी।

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खासकर ब्यूटी प्रोडक्ट्स तो निश्चित रूप से कम होगा। ऐसे में कंपनियों को जरूरत के हिसाब से अपना प्रोडक्ट बनाना होगा। लोगों की असल जरूरत को समझना होगा। अगर आप देश की मध्यमवर्गीय आबादी को ध्यान में रखकर प्रोडक्ट बनाएंगे तो आपको कोई नुकसान नहीं होगा।

छह महीने में सुधर जाएंगे हालात
भारत मध्यमवर्गीय देश है। अर्थव्यवस्था में झुकाव आया है। लग्जरी प्रोडक्ट्स में कमी आएगी… लेकिन छह महीने में स्थिति सुधरने लगेगी। कोविड के बाद ऑटो सेक्टर में उछाल देखने को मिलेगा, क्योंकि लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट्स को छोड़कर अपनी गाड़ी लेना पसंद करेंगे। ऐसे में सिंगल ब्रांड और लग्जरी रिटलेर्स को देखना होगा कि वह मध्यमवर्गीय परिवार को ध्यान में रखकर कौन से प्रोड्क्टस तैयार करें।

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किसानों के साथ खड़े हों, पूरा दाम दें
अमूल के एमडी सोढ़ी ने कहा, अमूल ने एक भी दिन कलेक्शन बंद नहीं किया और न ही कीमत कम की। जबकि कई डेयरियों ने दाम भी कम कर दिए और पैसा भी कम कर दिया। यह गलत है। लॉकडाउन के बाद छोटी-छोटी डेयरियों ने दूध लेना बंद कर दिया। इससे बड़े प्लेयर्स के पास दूध ज्यादा आने लगा। इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसान के साथ न्याय नहीं करें। अगर वही कमजोर हो गया तो फिर उत्पादन कौन करेगा। बेहतर हो कि हम इसको समझें।

किसानों को नुकसान हुआ है उसके कारण उत्पादन पर फर्क पड़ेगा और आने वाले दिनों में डिमांड बढ़ेगी, इसलिए जरूरी है कि डेयरियां ज्यादा आ रहे दूध को प्रोसेस करने का इंतजाम करें और किसानों का पूरा दूध पूरे दाम पर उठाएं। नहीं तो आने वाले दिनों में मुश्किल हो सकती है।

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