विविध भारत

Coronavirus से जंग जीतने के लिए दुनिया के इस बड़े संगठन के पास भी नहीं हैं फंड!

World Health Organisation ने Funding के लिए एक नए फाउंडेशन का ऐलान किया।
इसके जरिए Covid-19 को खत्म करने में WHO को आर्थिक मदद मिलने की उम्मीद है।
WHO का मौजूदा बजट 2.3 बिलियन डॉलर है जो वैश्विक संस्था के हिसाब से काफी कम है।

Aug 13, 2020 / 03:56 pm

Dhirendra

WHO का मौजूदा बजट 2.3 बिलियन डॉलर है जो वैश्विक संस्था के हिसाब से काफी कम है।

नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी ( Coronavirus Pandemic ) की वजह से पूरी दुनियाभर में आर्थिक संकट ( Economic Crisis ) छाया हुआ है। कहीं कम तो कहीं ज्यादा, इसका असर साफ दिखाई दे रहा है। अब तो दुनिया को महामारी से निजात दिलाने वाली सबसे बड़ी संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) के पास भी फंडिंग क्राइसिस ( Funding Crisis ) की समस्या उठ खड़ी हुई है। बताया जा रहा है कि इसी वजह से डब्लूएचओ कोरोना वायरस वैक्सीनेशन व अन्य कार्यक्रमों को लेकर कोई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर काम शुरू करने की घोषणा नहीं कर पा रहा है।
जानकारी के मुताबिक इस स्थिति को संभालने में विफल रहने के आरोप झेल रहे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में फंडिंग के लिए एक नए फाउंडेशन ( New Foundation ) का ऐलान किया है। इस फाउंडेशन के तहत किसी महामारी से निपटने के लिए फंडिंग इकट्ठी की जाएगी, जिसमें न सिर्फ बड़े देशों बल्कि आम लोगों से भी मदद ली जाएगी।
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WHO के डीजी डॉ. टीए गेब्रियेसस ( Dr TA Ghebreyesus) ने फंडिंग क्राइसिस को लेकर गठित नए फाउंडेशन WHO के बारे में कहा है कि यह एक स्वतंत्र संगठन होगा, जिसमें मौजूदा तरीकों से अलग हटकर फंडिंग को जुटाया जाएगा। इस फाउंडेशन के तहत किसी भी महामारी से निपटने के लिए फंडिंग जुटाया जाएगा जिसमें एक आम आदमी भी फंड दे सकता है।
WHO की ओर से कहा गया है कि यह संस्था कोविड-19 को खत्म करने के लिए किए गए WHO के प्रयासों में सहयोग भी करेगी। इसके अलावा इस तरह की महामारी से लड़ने में आर्थिक रूप से WHO को सपोर्ट करेगी।
नए फंडिंग संगठन की घोषणा के समय जेनेवा में वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में डॉ. टीए गेब्रियेसस ने कहा कि इस फाउंडेशन को बनाने का प्रस्ताव 2018 के फरवरी माह से ही लंबित था। यह भी बताया गया है कि कोरोना वायरस महामारी को ध्यान में रखते हुए WHO फाउंडेशन शुरुआत में इमर्जेंसी व महामारी के प्रति रेस्पॉन्स के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के लिए फंड जुटाकर इसे वितरित करने पर फोकस करेगी।
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बीते दिनों ही WHO की ओर से बयान दिया गया था कि उसका मौजूदा बजट 2.3 बिलियन डॉलर है जो वैश्विक संस्था के हिसाब से काफी कम है। इसके अलावा अमरीका की फंडिंग ( American funding ) रुक गई है। इसलिए हमें अधिक फंडिंग की जरूरत है। अमरीका के दबाव के बाद कई अन्य देशों ने भी WHO में बदलाव की अपील की है। साथ ही चीन के खिलाफ एक्शन की मांग की है। WHO पर आरोप है कि कोरोना वायरस के बारे में जानकारी होने के बाद भी उसने दुनिया को आगाह नहीं किया। इसी आधार पर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ( Donald Trump ) ने WHO को फंड न देने का ऐलान किया है।
बता दें कि अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने 1948 में आशा और उम्मीद के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन से समझौता किया था कि दुनिया में हर जगह लोगों को निवारक बीमारी की भयावहता से मुक्त करने में मदद करेगा। लेकिन विवाद की वजह से न केवल ट्रंप प्रशासन WHO की कार्यशैली से नाराज है, बल्कि उसने फंड भी देने से इनकार कर दिया है। जिससे कोरोना वायरस के इस दौर में WHO के सामने फंडिंग की अतिरिक्त समस्या उठ खड़ी हुई है।

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