संसदीय सचिव अधिनियम कानून 2010 असंवैधानिक
शुक्रवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश कुमार अग्निहोत्री की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय खंडपीठ ने अपने ऐतिहासिक फैसले में सिक्किम संसदीय सचिव अधिनियम कानून (पार्लियामेंट्री सेक्रेटेरीज एक्ट) 2010 को असंवैधानिक घोषित कर दिया। इस फैसले के साथ ही संसदीय सचिव का पद भी अवैधानिक हो गया।
शुक्रवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश कुमार अग्निहोत्री की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय खंडपीठ ने अपने ऐतिहासिक फैसले में सिक्किम संसदीय सचिव अधिनियम कानून (पार्लियामेंट्री सेक्रेटेरीज एक्ट) 2010 को असंवैधानिक घोषित कर दिया। इस फैसले के साथ ही संसदीय सचिव का पद भी अवैधानिक हो गया।
पहलमान सुब्बा व नवीन किरण ने लगाई थी जनहित याचिका
हाईकोर्ट ने यह फैसला एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए सुनाई। पूर्व लोकसभा सदस्य पहलमान सुब्बा व नवीन किरण प्रधान ने 29 जुलाई 2016 को यह याचिका दायर की थी। अधिवक्ता ओपी भंडारी ने संवाददाताओं को बताया कि उच्च न्यायालय के इस फैसले से विधायकों को इस तरह लाभ के पद देकर प्रजातंत्र को धराशायी करने की सत्ता दल की नीति को करारा झटका लगा है।
हाईकोर्ट ने यह फैसला एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए सुनाई। पूर्व लोकसभा सदस्य पहलमान सुब्बा व नवीन किरण प्रधान ने 29 जुलाई 2016 को यह याचिका दायर की थी। अधिवक्ता ओपी भंडारी ने संवाददाताओं को बताया कि उच्च न्यायालय के इस फैसले से विधायकों को इस तरह लाभ के पद देकर प्रजातंत्र को धराशायी करने की सत्ता दल की नीति को करारा झटका लगा है।
विधायकों को संसदीय सचिव बनाने को असंवैधानिक करार दे चुका है सुप्रीम कोर्ट
दूसरी ओर 6 नवंबर 2016 में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के टीडी काजी व कमल नेउपानी ने भी इस संबंध में याचिका दायर की थी। अधिवक्ता राघवेंद्र कुमार ने बताया कि हालाकि असम में विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने को सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक करार दे चुका है। उच्च न्यायालय के निर्णय के तहत विपक्षी दल सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को छोड़कर सत्तारूढ़ दल सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट पार्टी में शामिल होने वाले विधायकों में तिमोथी विलियंस बसनेत, पिंछो छोपेल लेप्चा, श्याम प्रधान, उगेन नीडुप भूटिया, हेमेंद्र अधिकारी, गोपाल बराइली व डा. मिचुंग भूटिया के अलावा एसडीएफ के विधायक तीलु गुरुंग, सोनाम डाडुल भूटिया, दावा नर्बु शेर्पा व कर्मा सोनाम लेप्चा शामिल हैं। उक्त विधायकों को सिक्किम सरकार की ओर से नवाजे गए पद हाईकोर्ट के फैसले के बाद से खत्म हो गए।
दूसरी ओर 6 नवंबर 2016 में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के टीडी काजी व कमल नेउपानी ने भी इस संबंध में याचिका दायर की थी। अधिवक्ता राघवेंद्र कुमार ने बताया कि हालाकि असम में विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने को सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक करार दे चुका है। उच्च न्यायालय के निर्णय के तहत विपक्षी दल सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को छोड़कर सत्तारूढ़ दल सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट पार्टी में शामिल होने वाले विधायकों में तिमोथी विलियंस बसनेत, पिंछो छोपेल लेप्चा, श्याम प्रधान, उगेन नीडुप भूटिया, हेमेंद्र अधिकारी, गोपाल बराइली व डा. मिचुंग भूटिया के अलावा एसडीएफ के विधायक तीलु गुरुंग, सोनाम डाडुल भूटिया, दावा नर्बु शेर्पा व कर्मा सोनाम लेप्चा शामिल हैं। उक्त विधायकों को सिक्किम सरकार की ओर से नवाजे गए पद हाईकोर्ट के फैसले के बाद से खत्म हो गए।