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झूठे आरोप में जेल में बंद रहा यह शख्स, माता-पिता और दो बड़े भाई भी दुनिया छोड़ गए, NHRC बोली- दोषियों पर कार्रवाई हो

Highlights. – विष्णु करीब 20 साल जेल में बंद रहा। उस जुर्म की सजा काटता रहा, जो उसने कभी किया ही नहीं था- जब तक बेगुनाही साबित हुई, अपने माता-पिता, दो बड़े भाई, सुनहरे सपने और 20 साल गवां चुका था – एनएचआरसी ने विष्णु के मामले में दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई और राहत के लिए यूपी सरकार पत्र लिखा है
 

Mar 07, 2021 / 09:30 am

Ashutosh Pathak

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नई दिल्ली।

एक शख्स करीब 20 साल जेल में बंद रहा। उस जुर्म की सजा काटता रहा, जो उसने कभी किया ही नहीं था। जब तक उसकी बेगुनाही साबित हुई, तब तक वह अपना सब कुछ लुटा चुका था। अपनी 20 साल की जिंदगी, माता-पिता, दो बड़े भाई और अपने सुनहरे सपने। बात हो रही है विष्णु तिवारी की, जो रेप के झूठे आरोप में आगरा सेंट्रल जेल में बंद रहा, मगर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद उसे जेल की कैद से मुक्ति मिल सकी।
वैसे विष्णु तिवारी के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है। आयोग की ओर से उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र भेजा गया है। पत्र के मुताबिक, इस मामले में जिम्मेदार लोक सेवकों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया है। साथ ही, विष्णु तिवारी के राहत और पुनर्वास के लिए सभी जरूरी कदम उठाने को भी कहा गया है। पत्र में आयोग ने कहा कि बीते 20 साल में विष्णु ने जो आघात, मानसिक दर्द और सामाजिक कलंक झेला है, इस पर भी गंभीरता से गौर किया जाए। आयोग ने अपने नोटिस पर उत्तर प्रदेश सरकार से 6 सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
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महादेव के आने पर विष्णु की चिंता बढ़ जाती थी
विष्णु तिवारी का एक भाई, जिसका नाम है महादेव। वह अक्सर जेल में बंद विष्णु से मिलने आता था। हालांकि, पिछले साल कोरोना महामारी फैलने के बाद से उन दोनों की मुलाकात नहीं हो पा रही थी। मगर इससे पहले मुलाकात के लिए महादेव जब भी जेल में आता था, तो विष्णु की चिंता बढ़ जाती थी। दरअसल, बीते कुछ सालों में विष्णु ने अपने सभी करीबियों को खो दिया। इन सबकी मौत की सूचना महादेव ही लाता था। इसलिए विष्णु महादेव को देखते ही एक बार को कांप जाता था। मुलाकात जब पूरी हो जाती और ऐसा बुरा संदेश नहीं मिलने पर उसकी जान में जान आती थी।
एक-एक कर सभी चले गए
विष्णु के लिए सिर्फ जेल ही उसका बुरा सपना नहीं है। उसे दुख इस बात का भी है कि अपनो को खो दिया और उनके अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाया। पिता का देहांत वर्ष 2013 में हुआ। एक साल बाद ही उसकी मां का निधन हो गया। फिर एक-एक कर दो बड़े भाई दुनिया छोड़ गए। पांच भाइयों में विष्णु तीसरे नंबर पर है।
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कौन लौटाएगा 20 साल
विष्णु के केस को जिसने भी सुना, न सिर्फ हैरान हुआ बल्कि, दुखी भी। वह आगरा सेंट्रल जेल में बंद रहे। आगरा के ही सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस हैं। उन्होंने जब विष्णु की कहानी सुनी, तो उसे न्याय दिलाने का फैसला किया। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर पुलिस के रवैये और पूरी कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। विष्णु को जब झूठे आरोप लगाकर जेल भेजा गया, तब उसकी उम्र 25 साल थी। 20 साल बाद जब वह 45 वर्ष का हो चुका है, तो अपना सब कुछ गंवा भी चुका है। ऐसे में उसके 20 साल कैसे वापस होंगे। नरेश ने विष्णु के मामले में दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई किए जाने और विष्णु को मुआवजा देने की मांग मानवाधिकार आयोग से की। उसने यह भी कहा कि विष्णु को दिए जाने वाले मुआवजे की रकम पुलिसकर्मियों के वेतन से काटी जाए।
जेल से बाहर आने पर क्या करेंगे
विष्णु जेल में दूसरे बंदियों के लिए खाना बनाते। अब जेल से बाहर आने के बाद वह ढाबा खोलना चाहते हैं, जिससे अपना जीवन चला सकें। हालांकि, इसके लिए पहले उसे पूंजी की जरूरत होगी, जिसके लिए वह कहीं नौकरी करेगा। पैसे जुटाने के बाद ही वह ढाबा खोलेगा।

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