वास्तव में एपीजे अब्दुल कलाम का नाम हमेशा सम्मान और गर्व के साथ लिया जाता है और आगे भी लिया जाता रहेगा। उनका जन्म एक गरीब मछुआरे परिवार में हुआ था। लेकिन प्रतिभा के दम पर भारत को अपनी सुरक्षा और अखंडता की रक्षा के लिए परमाणु बम देने वाले व्यक्ति बने।
डॉ. एपीजे कलाम देश के राष्ट्रपति भी रहे और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के वैज्ञानिक सलाहकार भी। वह कहा करते थे – एक अच्छी पुस्तक हजार दोस्तों के बराबर होती है। जबकि एक अच्छा दोस्त एक पुस्तकालय के समान होता है। इतना ही नहीं, देश का सबसे अच्छा दिमाग क्लास रूम की आखिरी बेंचो पर बैठा मिल सकता है।
Defence Minister Rajnath Singh की मॉस्को में आज हो सकती है चीनी समकक्ष से मुलाकात, कहा – सख्त तेवर ठीक नहीं जीवन में आने वाली चुनौतियों के बारे में उनका कहना था कि जीवन में कठिनाइयां हमे बर्बाद करने के लिए नहीं आती हैं। कठिनाईयां हमारे अंदर छुपे हुए आंतरिक सामर्थ्य को बाहर निकलने में मदद करती है। हर इंसान को चाहिए कि वो कठिनाइयों को यह जान लेने दे कि आप उससे भी ज्यादा कठिन हैं।
इसी तरह उनका एक और कथन बहुत लोकप्रिय है। वह कहा करते थे कि सपना वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे। उनकी इस दूरदर्शिता का ही परिणाम है कि जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान भारत ने परमाणु परीक्षण का फैसला किया तो ये कलाम ही थे जिनकी रणनीति को अंतरिक्ष में मंडराते अमरीका और विकसित देशों के उपग्रह भी नहीं समझ सके। उन्होंने पृथ्वी और अग्नि जैसी बैलिस्टिक मिसाइल हमारे सुरक्षा बलों को दीं।
बता दें कि देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में एक गरीब व मछुआरे परिवार में हुआ था। डॉ. कलाम की रुचि गणित में शुरू से ही काफी थी। पढ़ाई को जारी रखने के लिए वह रोज सुबह उठकर अखबार बेचा करते थे।
Army Chief MM Narvane बोले – एलएसी पर भारतीय सेना हर मुकाबले के लिए तैयार प्रारंभिक व कॉलेज स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह 1962 में इसरो से जुड़े। सबसे पहले रोहिणी सैटेलाइट पर काम किया। इसके बाद एक वैज्ञानिक के रूप में उन्होंने न केवल देश को मिसाइल दिया बल्कि मिसाइलमैन भी कहलाए। अपनी प्रतिभा, ईमानदारी और दूरदर्शिता के दम पर वह देश के राष्ट्रपति भी बने। राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने देशवासियों को सपने देखना और पूरा करना सिखाया।
27 जुलाई, 2015 में शिलॉन्ग में एक लेक्चर देते समय दिल का दौरा पड़ने से हुआ। लेकिन उनके विचार आज भी युवाओं देश के सपना देखने के लिए मजबूर करते हैं। खास बात यह है कि एपीजे कलाम ( APJ Abdul Kalam ) को राष्ट्रपति बनने से पहले ही भारत रत्न से सम्मानित हो चुके थे।