सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई पुलिस को सभी जांच रिपोर्ट सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है। साथ ही महाराष्ट्र सरकार को भी सीबीआई से मदद करने को कहा गया है।
बता दें कि सुशांत सिंह राजपूत मौत के दो महीने से ज्यादा जो चुके हैं। इसके बावजूद इसकी जांच पर अभी पेंच फंसा हुआ है। इस मामले में सुशांत सिंह राजपूत के पिता कृष्ण किशोर सिंह ने पटना में दर्ज कराई गई प्राथमिकी में रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के सदस्यों सहित छह व्यक्तियों पर अपने पुत्र को आत्महत्या के लिए मजबूर करने सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कार्यसूची के मुताबिक न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय ( Justice Hrishikesh Roy ) की एकल पीठ सुशांत सिंह मौत मामले पर आज फैसला सुनाएगी। न्यायमूर्ति रॉय ने 11 अगस्त को इस याचिका पर सुनवाई पूरी की थी।
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बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत 14 जून को मुंबई के उपनगर बांद्रा में अपने अपार्टमेंट में फंदे से लटके पाए गए थे। फिलहाल मुंबई पुलिस ( Mumbai Police ) इस मामले की जांच कर रही है। लेकिन मुंबई पुलिस की जांच पर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। मुंबई पुलिस पर जांच के सबूत मिटाने के आरोप लगे हैं।
मुबई पुलिस की जांच पर बिहार पुलिस ने कोताही बरतने का आरोप लगा रही है। साथ ही परिवार ने भी सीबीआई जांच ( CBI Probe ) की अपील की है, जिस पर केंद्र की मुहर भी लग चुकी है। बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि अब पूरे देश को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है।
सुशांत सिंह राजपूत के पिता केके सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह का कहना था कि उनका महाराष्ट्र पुलिस में भरोसा नहीं है। इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की पुष्टि की जाए और मुंबई में महाराष्ट्र पुलिस को इस मामले में सीबीआई को हर तरह से सहयोग करने का निर्देश दिया जाए।
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दूसरी तरफ बिहार सरकार का दावा था कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु को लेकर पटना में दर्ज कराई गई प्राथमिकी विधि सम्मत और वैध है। राज्य सरकार ने यह भी दावा किया था कि मुंबई पुलिस ने उसे न तो सुशांत सिंह राजपूत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध कराई और न ही उसने अभी तक इस मामले में कोई प्राथमिकी ही दर्ज की है।
वहीं केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ( Solicitor General Tushar Mehta ) ने कहा था कि मुंबई में तो कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और मजिस्ट्रेट को इसकी जानकारी दिए कोई जांच ही नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान ही केंद्र ने कहा था कि इस मामले को सीबीआई को सौंपने की बिहार सरकार की सिफारिश स्वीकार कर ली गई है। इस संबंध में आवश्यक अधिसूचना भी जारी हो गई है।