न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि लोकतंत्र में मानव अधिकार और जीवन के अधिकार के साथ ही असहमति का अधिकार निहित है। उन्होंने कहा, “असहमति को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। असहमति पर अंकुश लगाने का कोई भी प्रयास खतरनाक होगा।”
जब अमरीका की फर्स्ट लेडी पहुंचीं थी राष्ट्रपति के साथ हरियाणा के इस गांव में, तब से बदल दिया गया इसका नाम बीते कुछ वक्त से चल रहे हालात के के स्पष्ट संदर्भ में, जहां असहमति को राष्ट्र-विरोधी अपराध का स्वरूप दे दिया गया है पर न्यायमूर्ति गुप्ता ( Justice Deepkak Gupta ) ने कहा, “परेशानी यह है कि असहमति को राष्ट्र-विरोधी माना जा रहा है। आप देश के प्रति अपमानजनक हो सकते हैं, लेकिन सरकार के प्रति अपमानजनक होना देश के प्रति अपमानजनक होने से अलग है।”
असहमति को राष्ट्र विरोधी स्वरूप दिए जाने को ‘खतरनाक’ बताते न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि कोई भी विचार इतना पवित्र नहीं था, जिसकी आलोचना नहीं की जा सके और “यदि विचारों का टकराव होना है, तो एक असहमति होनी चाहिए।”
टल सकती थी जाफराबाद में हुई हिंसा और बच सकती थी हेड कॉन्सटेबल की जान अगर दिल्ली पुलिस कर लेती यह काम न्यायमूर्ति गुप्ता ने यह भी कहा कि असहमति रखने वालों के प्रति समर्थन का कारण हमेशा “न्यायसंगत या सही” नहीं हो सकता है, लेकिन साथ ही सरकारें भी हमेशा सही नहीं होती हैं।
लोकतंत्र और असहमति पर एक व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा, “असहमति समाज का एक प्रमुख आधार है। असहमति न हो तो समाज विकसित नहीं होगा; अगर कोई असहमति नहीं है तो यह स्थिर हो जाएगा।”
उन्होंने अपने समय की प्रचलित धारणाओं और प्रथाओं पर सवाल उठाने की ही वजह से ईसा मसीह, पैगंबर मोहम्मद, बुद्ध, गुरु नानक, कार्ल मार्क्स, मार्टिन लूथर किंग जूनियर के सामने आने की बात कही।
मोटेरा स्टेडियम पर डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी से ज्यादा बार लिया देश का नाम, छाया रहा हिंदुस्तान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित लोकतंत्र और असहमति के विषय पर न्यायमूर्ति गुप्ता ने विस्तार से कहा, “लोकतंत्र बहुमत का नियम है लेकिन प्रमुखतावाद को अपनाना लोकतंत्र के खिलाफ है।”
उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ उन लोगों के लिए नहीं है जिन्होंने उनके पक्ष में वोट दिया था, बल्कि इसके खिलाफ मतदान करने वालों सहित पूरे लोगों के लिए सत्ता में है।