नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को केंद्र सरकार सीबीआई और एस्सार कंपनी को नोटिस जारी किया है। इस जनहित याचिका में राजनीतिक-नौकरशाही-कॉर्पोरेट के बीच एक उच्चस्तरीय साठंगांठ के खिलाफ जांच करने की मांग की गई है। एक ईमेल लीक होने की वजह से यह सांठगांठ का मामला सामने आया है। इस सांठगांठ में शामिल कॉर्पोरेट घराने ने कथित रूप से अपने कारोबार को बढ़ावा देने के लिए मंत्रियों और नौकरशाहों को उपकृत किया था।
उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आर. बानुमति की पीठ ने एक गैरसरकारी संस्था (एनजीओ) सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशन (सीपीआईएल) द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। याचिका में उस सांठगांठ की एसआईटी या सीबीआई से जांच कराने की मांग की गई है, जिसके तहत एस्सार ने अपने कारोबारी हितों को बढ़ावा देने के लिए कथितरूप से मंत्रियों और नौकरशाहों को उपहार और अन्य सुविधाएं प्रदान की। इस नोटिस का छह सप्ताह के भीतर जवाब देना है।
नोटिस जारी करने से पहले सीपीआईएल के वकील प्रशांत भूषण ने अदालत को अपने स्त्रोत के बारे में जानकारी दी। भूषण ने अपने स्त्रोत को व्हिसलब्लोअर बताया है। न्यायालय ने प्रशांत भूषण से पूछा कि क्या वह अदालत को मुहरबंद लिफाफे में इस स्त्रोत के बारे में बता सकते हैं। भूषण ने न्यायालय से कहा कि यह व्हिसलब्लोअर एस्सार का पूर्व कर्मचारी है। उसे पहले से ही इस संदर्भ में धमकी मिल रही है और पुलिस अकारण कई बार उसके यहां जा चुकी है।
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