हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि, डीजे बजाए जाने से ध्वनि प्रदूषण होता है। वह अप्रिय और मन खिन्न करने वाला होता है। वहीं इलाहबाद कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट दर्जनभर से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनको लेकर अब सर्वोच्च अदालत सुनवाई करेगी।
यह भी पढ़ेंः रेप की सजा काट रहा गुरमीत राम रहीम पांचवी बार जेल से आया बाहर, जानिए क्या है वजह देश की शीर्ष अदातल में गुरुवार को डीजे पर पूरी तरह रोक लगाने वाले इलाहबाद हाईकोर्ट के आदेश को लेकर सुनवाई होना है। बता दें कि इससे पहले शीर्ष अदालत ने अक्तूबर 2019 में हाईकोर्ट के निर्देशों के क्रियान्वयन को स्थगित कर दिया था।
इन जजों की पीठ करेगी सुनवाई
डीजे पर रोक लगेगी या नहीं इसको लेकर जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर करीब एक दर्जन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
ये सभी याचिकाएं अलग-अलग डीजे एसोसिएशन और अन्य की ओर से दायर की गई हैं।
डीजे पर रोक लगेगी या नहीं इसको लेकर जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर करीब एक दर्जन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
ये सभी याचिकाएं अलग-अलग डीजे एसोसिएशन और अन्य की ओर से दायर की गई हैं।
ये है डीजे के पेशे से जुड़े लोगों का तर्क
डीजे के पेशे से जुड़े लोगों की पैरवी करने वाले वकील दुष्यंत पाराशर के मुताबिक डीजे ऑपरेटर विवाह समारोह, जन्मदिन पार्टी और खुशी के अन्य मौकों पर अपनी सेवाएं देकर रोजी-रोटी चलाते हैं। हाईकोर्ट के आदेश से उनकी आजीविका पर संकट पैदा हो गया है।
डीजे के पेशे से जुड़े लोगों की पैरवी करने वाले वकील दुष्यंत पाराशर के मुताबिक डीजे ऑपरेटर विवाह समारोह, जन्मदिन पार्टी और खुशी के अन्य मौकों पर अपनी सेवाएं देकर रोजी-रोटी चलाते हैं। हाईकोर्ट के आदेश से उनकी आजीविका पर संकट पैदा हो गया है।
याचिका में ये भी कहा गया है, यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। यह भी पढ़ेँः देश में 4 जुलाई को ही कोरोना की तीसरी लहर ने दी दस्तक! टॉप वैज्ञानिक ने किया दावा
इलाहबाद कोर्ट ने कब दिया आदेश?
डीजे से ध्वनि प्रदूषण होने की बात कह कर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह आदेश 20 अगस्त, 2019 को पारित किया था। इसमें ध्वनि प्रदूषण रोकथाम नियम 2000 का उल्लेख किया गया।
डीजे से ध्वनि प्रदूषण होने की बात कह कर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह आदेश 20 अगस्त, 2019 को पारित किया था। इसमें ध्वनि प्रदूषण रोकथाम नियम 2000 का उल्लेख किया गया।
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने उस दौरान सुप्रीम कोर्ट के 2005 के एक आदेश का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें ध्वनि प्रदूषण से रोजमर्रा की जिंदगी पर नकारात्मक असर पड़ने की बात कही गई है।