नई दिल्ली। बिक्री पर लगी रोक हटने के बावजूद मैगी नूडल्स को उच्चतम न्यायालय की ओर से अभी तक क्लीन चिट नहीं मिली है और न्यायालय ने उसके नमूनों में मोनो सोडियम ग्लूकोमेट (एमएसजी) और सीसे की मात्रा की जांच का आदेश फिर से दिया है। मैगी में सीसा और एमएसजी का स्तर तय मानक से ज्यादा पाए जाने की शिकायत पर न्यायालय ने भारतीय खाद्य संरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई), नेस्ले इंडिया और केन्द्र सरकार की ओर से पेश की गई दलीलें सुनने के बाद आज यह आदेश दिया। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एन वी रमना की पीठ ने मैगी के नमूनों की जांच के सबंध में मैसूरु में स्थित केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान की सरकारी प्रयोगशाला की ओर से प्राप्त दो रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद कहा कि नमूनों की दोबारा जांच का उसका आज का आदेश कोई अंतरिम आदेश नहीं है, लेकिन यह इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि मैगी का सबसे ज्यादा सेवन बच्चे और युवा करते हैं, ऐसे में इसकी जांच दोबारा होनी जरुरी है। न्यायालय ने इस सबंध में प्रयोगशाला से आठ सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई पांच अप्रैल को होगी। न्यायाधीशों ने कहा कि प्रयोगशाला मैगी के नमूनों की जांच के बारे में दो बातें उसे स्पष्ट बताए, पहला यह कि उसमें एमसजी और सीसे की मात्रा तय मानक के अनुरुप है या नहीं और दूसरा यह कि यह मात्रा खाद्य संरक्षा कानून द्वारा निर्धारित सीमा के भीतर है या नहीं। न्यायालय ने प्रयोगशाला को यह आदेश भी दिया कि यदि वह इस जांच के सबंध में मैगी के और नमूने मंगाना चाहती है तो इसके लिए वह संबधित अधिकारियों से सपंर्क कर सकती है। पीठ ने कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो इसके लिए न्यायालय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के संयुक्त रजिस्ट्रार को लिख सकता है जो एफएसएसएआई के लखनऊ गोदाम से इसका इंतजाम कर देंगे। एफएसएसएआई ने कहा था कि मैगी में एमएसजी की मात्रा तय मानकों से ज्यादा है इसलिए उसकी बिक्री खाद्य संरक्षा कानून के खिलाफ है।