सुप्रीम कोर्ट ने सज्जन कुमार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अपनी सेहत का हवाला देकर अंतरिम जमानत दिए जाने का अनुरोध किया था। आपको बात दें कि 17 दिसंबर 2018 को सज्जन कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सिख विरोधी दंगे के मामले में दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। साथ ही पूर्व कांग्रेस नेता पर पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था।
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चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को वर्चुअल सुनवाई की। इस दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि माफ कीजिए हम इच्छुक नहीं है। खारिज। इस तरह सज्जन कुमार की अंतरिम जमानत की याचिका खारिज हो गई।
इससे पहले सज्जन कुमार के वकील ने दलील दी कि सज्जन कुमार का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है। पिछले 20 महीने से वे जेल में हैं और इस दौरान उनका 16 किलोग्राम वजन भी कम हो चुका है।
यही नहीं सज्जन कुमार को पहले ही से कई बीमारियां हैं, जिनका इलाज करवाना काफी जरूरी है।
हालांकि सज्जन कुमार के वकील की ये दलील नहीं चली और चीफ जस्टिस ने अंतरिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
हालांकि सज्जन कुमार के वकील की ये दलील नहीं चली और चीफ जस्टिस ने अंतरिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
मार्च में भी दी थी अर्जी
ये पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने सज्जन कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी है। इससे पहले भी मार्च के महीने में भी सज्जन कुमार की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। तब भी स्वास्थ्यका ही हवाला दिया गया था। हालांकि तब भी सुप्रीम कोर्ट ने ये मांग ठुकरा दी थी।
ये पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने सज्जन कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी है। इससे पहले भी मार्च के महीने में भी सज्जन कुमार की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। तब भी स्वास्थ्यका ही हवाला दिया गया था। हालांकि तब भी सुप्रीम कोर्ट ने ये मांग ठुकरा दी थी।
सीबीआई भी कर चुकी विरोध
वहीं इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट सज्जन कुमार को जमानत देने से इनकार कर चुकी है। दरअसल पहले सीबीआई ने भी सज्जन कुमार की याचिका का विरोध किया था। सीबीआई ने तर्क दिया था कि सिख विरोधी दंगा भड़काने में सज्जन कुमार पर आरोप साबित हो चुका है और अन्य मामलों की सुनवाई जारी है, ऐसे में कोर्ट उन्हें जमानत देता है तो वे काम में रुकावट डाल सकते हैं। ऐसा वे पहले कर चुके हैं।
वहीं इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट सज्जन कुमार को जमानत देने से इनकार कर चुकी है। दरअसल पहले सीबीआई ने भी सज्जन कुमार की याचिका का विरोध किया था। सीबीआई ने तर्क दिया था कि सिख विरोधी दंगा भड़काने में सज्जन कुमार पर आरोप साबित हो चुका है और अन्य मामलों की सुनवाई जारी है, ऐसे में कोर्ट उन्हें जमानत देता है तो वे काम में रुकावट डाल सकते हैं। ऐसा वे पहले कर चुके हैं।