कोर्ट ने कहा कि धरना प्रदर्शन के लिए सड़क या सार्वजनिक स्थल पर लोगों कि सहूलियत का ख्याल रखा जाना चाहिए। सार्वजनिक स्थल को धरना प्रदर्शन के लिए नहीं घेरा जाना चाहिए। यह लोगों के लिए परेशानी का कारण बनता है।
मौसम विभाग ने देश के इन राज्यों में जारी किया भारी बारिश का अलर्ट, जानें चक्रवाती तूफानों का क्यों बढ़ रहा खतरा कोरोना संकट के बीच आईसीएमआर ने जारी किया ताजा आंकड़े, जानें कहां तक पहुंची संक्रमितों की संख्या ौर कितने हुए टेस्ट
राजधानी दिल्ली के शाहीनबाग में प्रदर्शन मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायाल ने कहा है कि सार्वजनिक स्थानों पर कब्जा करना गलत है। ये लोगों के अधिकारों का हनन है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार बिना न्यायाल के इंतजार के तुरंत जगह को खाली कराए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट से अलग-अलग फैसला दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों और सड़कों पर अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता है। विरोध प्रदर्शन तय जगहों पर ही होना चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा सार्वजनिक बैठकों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है लेकिन उन्हें निर्दिष्ट क्षेत्रों में होना चाहिए।
इससे पहले याचिकाकर्ता अमित साहनी ने कहा था कि ऐसे विरोध जारी नहीं रह सकते, सड़कों को ब्लॉक करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद प्रदर्शन 100 दिनों के लिए चलते रहे। वहीं उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि ऐसे मामलों में प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए, अदालत के आदेश का इंतजार नहीं किया जाए।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा सार्वजनिक बैठकों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है लेकिन उन्हें निर्दिष्ट क्षेत्रों में होना चाहिए।
इससे पहले याचिकाकर्ता अमित साहनी ने कहा था कि ऐसे विरोध जारी नहीं रह सकते, सड़कों को ब्लॉक करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद प्रदर्शन 100 दिनों के लिए चलते रहे। वहीं उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि ऐसे मामलों में प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए, अदालत के आदेश का इंतजार नहीं किया जाए।
आपको बता दें कि दिल्ली में सीएए के खिलाफ शाहीन बाग में चले लंबे प्रदर्शन ने लाखों लोगों को प्रभावित किया था।