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लॉकडाउन में बढ़ेगी सप्लाई चेन की चुनौतियां, देश में खड़ा हो सकता है महासकंट

लेबर के घर लौटने की वजह से मैन्युफैक्चरिंग में भारी परेशानी
ट्रांसपोर्ट की संख्या के चलते सामान की आवाजाही पर रोक
लॉकडाउन में मंडियां बंद, फल व सब्जी का संकट
आवश्यक वस्तुओं की कीमत में कालाबाजारी संभव
उत्पादन इकाइयों के सामने पैदा हुआ कच्चे माल का संकट
घरों तक नहीं पहुंच पाएगा सामान तो मचेगा हाहाकार

Apr 12, 2020 / 05:25 pm

Mohit sharma

लॉकडाउन में बढ़ेगी सप्लाई चेन की चुनौतियां, देश में खड़ा हो सकता है महासकंट

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस ( Coronavirus in india ) के संक्रमण को फैलता देख केंद्र सरकार लॉकडाउन ( Lockdown in India ) को बढ़ाने पर विचार कर रही है। माना जा रहा है कि राज्य सरकारों के अनुरोध पर लॉकडाउन और दो हफ्तों के लिए बढ़ाया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो इसका असर आम जनजीवन ( Common life ) पर पड़ना तय है। इस स्थिति में न केवल देशवासियों बल्कि सरकार के सामने भी कई तरह की चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। इन चुनौतियों में सबसे बड़ी चुनौती लोगों तक रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले आवश्यक समान ( Essential goods ) की आपूर्ति कराना है।

-ट्रांसपोर्ट की संख्या के चलते सामान की आवाजाही पर रोक

दरअसल, लॉकडाउन के कठिन दिनों में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती सप्लाई चेन की है। सप्लाई चेन पर सबसे ज्यादा असर ट्रांसपोर्टेशन का पड़ा है। चूंकि लॉकडाउन की वजह से यातायात न केवल बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, बल्कि पूरी तरह से ठहर गया है। हालांकि जरूरी सामानों की आपूर्ति के लिए कुछ वाहनों से प्रतिबंध जरूर हटाया गया, लेकिन वो नाकाफी साबित हो रहे हैं। ऐसे में फलों और सब्जी से लेकर खाने पीने के तमाम चीजों की सप्लाई लगभग थम गई है, जिससे घरों में कैद लोगों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है।

-लेबर के घर लौटने की वजह से मैन्युफैक्चरिंग में भारी परेशानी

उपभोक्ता मामलों के विशेषज्ञों की मानें तो लॉकडाउन में सबसे अधिक प्रभावित मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर हुआ है। जिसके पीछे सबसे बड़ा कारण उत्पादन ईकाइयों और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में काम करने वाली लेबर का अपने घरों को लौट जाना है। लॉकडाउन की वजह से शहरों में काम करने वाले अधिकांश मजदूर और कामगार अपने-अपने घरों को लौट गए हैं, जिससे उत्पादन इकाइयों का पहिया थम गया है। ऐसे में इन मजदूरों की कार्यस्थल पर वापसी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।

-लॉकडाउन में मंडियां बंद, फल व सब्जी का संकट

लॉकडाउन की वजह से देश की अधिकांश मंडियां बंद पड़ी हैं, जिससे फलों और सब्जियों की सप्लाई चेन टूट गई है। हालांकि सहकारिता एंव कृषि कल्याण विभाग ने देशभर में 1600 मंडियों को खोलने का दावा किया है, लेकिन वह ऊंट के मुंह में जारी साबित हो रहा है। घरों में सब्जियों और फलों की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति न होने से लोगों में परेशानी बढ़ी है।

-उत्पादन इकाइयों के सामने पैदा हुआ कच्चे माल का संकट

इसके साथ ही उत्पादन इकाइयों के सामने कच्चे माल का भी संकट बढ़ा है। लॉकडाउन में यातायात गतिविधियां थमने की वजह से कच्चा माल उत्पादन इकाइयों तक नहीं पहुंच पा रहा है, जिसकी वजह से इन संस्थाओं की उत्पादन क्षमता पर भारी प्रभाव पड़ा है। ऐसे में अगर लॉकडाउन बढ़ता है तो सरकार को इसके लिए बड़ा कदम उठाना होगा।

-आवश्यक वस्तुओं की कीमत में कालाबाजारी संभव

वहीं, सप्लाई चेन टूटने का सबसे बड़ा असर आवश्यक सामानों की कीमतों पर पड़ा है। दरअसल, लॉकडाउन की वजह से घरों में कैद लोगों के सामने ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। इसके साथ ही मार्केट बंद होने से इक्का-दुक्का दुकानों पर ही रोजमर्रा की चीजें मिल पा रही हैं, जिसके वजह से कुछ दुकानदार मुनाफाखोरी व कालाबाजी से बाज नहीं आ रहे हैं। चीजों की वास्तविक कीमतों से अधिक दाम मागें जा रहे हैं। नतीजतन लोगों को सामान्य चीजों की ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही हैं।

-घरों तक नहीं पहुंच पाएगा सामान तो मचेगा हाहाकार

ऐसे में अगर लॉकडाउन की अवधि बढ़ती है और सरकार समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाती तो देश में बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। सबसे बड़ा संकट तो लोगों को समय पर जरूरी सामान न मिल पाना है। अगर लोगों के सामने कोई विकल्प नहीं बचा तो भुखमरी से बचने के लिए लोग सड़कों पर भी उतर सकते हैं।

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