विविध भारत

सूरज पर भी लगा लॉकडाउन का ग्रहण, नासा ने भीषण ठंड, भूकंप और सूखे की जताई चिंता

सूरज के लॉकडाउन में जाने से दुनिया के वैज्ञानिक चिंतित
सूरज की गतिविधियों में व्यापक स्तर पर कमी आने की आंशका
सूरज का मैग्नेटिक फील्ड काफी कमजोर हो जाएगा

May 15, 2020 / 09:53 am

Dhirendra

नई दिल्ली। लॉकडाउन ( Lockdown ) की वजह से पूरी दुनिया गंभीर संकट के दौर में है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। दुनिया भर के लोग चिंतित है कि लॉकडाउन कब तक जारी रहेगा। इस बीच सूरज के लॉकडाउन में जाने से दुनियाभर के वैज्ञानिक भी चिंतित हो उठे हैं। ऐसा होना स्वाभाविक है, क्योंकि सूर्य का लॉकडाउन में जाना इंसान सहित सभी जीवों के लिए गंभीर चिंता का विषय साबित हो सकता है।
दरअसल, सोलर वैज्ञानिकों ने सूरज ( Sun ) को लेकर एक नई जानकारी दी है। वैज्ञानिकों के अनुसार सूरज भी लॉकडाउन (lockdown) में चला गया है। सूरज के लॉकडाउन में जाने की अवधि को वैज्ञानिक सोलर मिनिमम ( Solar Minimum ) कहते हैं। इस दौरान सूरज की सतह पर गतिविधि आश्चर्यजनक तरीके से कम कम हो जाती है।
मोदी सरकार को प्रवासी मज़दूरों की भूख का ख़्याल, हर महीने देगी गेहूं, चावल और दाल

सोलर वैज्ञानिकों का कहना है कि अब हम उस दौर में जा रहे हैं, जहां सूरज की किरणों में भयानक मंदी देखने को मिलेगी। ये रिकॉर्ड स्तर की मंदी होगी जिसमें सनस्पॉट बिल्कुल गायब हो जाएगा।
द सन ने एस्ट्रोनॉमर डॉ टोनी फिलीप्स के हवाले से कहा है कि हम सोलर मिनिमम की ओर जा रहे हैं। इस बार ये लॉकडाउन काफी गहरा रहने वाला है। उन्होंने कहा है कि सनस्पॉट बता रहे हैं कि पिछली सदियों की तुलना में ये दौर ज्यादा गहरा रहने वाला है। लॉकडाउन की वजह से सूरज का मैग्नेटिक फील्ड काफी कमजोर पड़ जाएगा और सोलर सिस्टम में ज्यादा कॉस्मिक रेज आ जाएंगे।
एस्ट्रोनॉमर टोनी फिलीप्स ने कहा है कि ज्यादा मात्रा में कॉस्मिक रेज एस्ट्रोनॉट्स के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक हैं। ये पृथ्वी के ऊपरी वातावरण के इलेक्ट्रो केमिस्ट्री को प्रभावित करेंगे। इसकी वजह से बिजलियां कड़केंगी। इसका सीधा असर मौसम पर पड़ेगा।
सरकारी कर्मचारियों को मिल सकता है साल में 15 दिन Work from Home का विकल्प

नासा ( NASA ) के वैज्ञानिकों ने भी सोलर लॉकडाउन को लेकर चिंता जाहिर की है। नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि ये घटना डाल्टन मिनिमम जैसा हो सकता है। डाल्टन मिनिमम 1790 से 1830 के बीच में आया था। इस दौरान भीषण ठंड पड़ी थी। फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था। भूकंप, सूखा और भयावह ज्वालामुखी फूटे थे। इस दौरान 40 वर्षों में तापामान 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया। इसकी वजह से दुनिया के सामने अन्न का संकट पैदा हो गया था। 10 अप्रैल, 1815 को 2000 वर्षों में दूसरा सबसे ज्यादा ज्वालामुखी फूटे थे।इंडोनेशिया में इसकी वजह से करीब 71 हजार लोग मारे गए। इसी तरह से 1816 में गर्मी पड़ी ही नहीं। इस साल को 1800 और ठंड से मौत का नाम दिया गया। इस दौरान जुलाई महीने में बर्फ गिरी। 186 में सूरज ब्लैंक रहा और इस दौरान 76 फीसदी वक्त में सन स्पॉट नहीं दिखा है।

Hindi News / Miscellenous India / सूरज पर भी लगा लॉकडाउन का ग्रहण, नासा ने भीषण ठंड, भूकंप और सूखे की जताई चिंता

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.