गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को गोवा समुद्रतट में तेजस से डर्बी मिसाइल दागी गई। इसमें तेजस अपनी सभी परिचालन जरुरतों में खरा उतरा। अधिकारी ने बताया कि इससे पहले तेजस को सैन्य हथियारों और अन्य मिसाइलों से लैस करने की मंजूरी दी गई थी।
एचएएल-डीआरडीओ का संयुक्त उपक्रम है तेजस
गौरतलब है कि लड़ाकू विमान तेजस हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एयरोनॉटिक्स डेवलपमेंट एजेंसी की संयुक्त उपक्रम है। वायुसेना ने इससे पहले 40 तेजस मार्क-1 संस्करण का ऑर्डर दिया था। इसके बाद पिछले वर्ष दिसंबर में 50 हजार करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले 83 और नए तेजस की खरीद के लिए एचएएल को प्रस्ताव सौंपा था।
1980 का लंबित प्रोजेक्ट मोदी सरकार में पूरा, भारतीय फौज को मिलेंगी 300 एंटी-टैंक मिसाइलें
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारण ने दी बधाई
गौरतलब है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने डीआरडीओ एवं एरोनाटिकल डेवलपमेंट एजेंसी को इसके लिए बधाई दी है। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘हल्के जंगी विमान ने मारक क्षमता में विस्तार और अपने सुरक्षित परिचालन को प्रदर्शित करने के लिए हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी बीवीआर मिसाइल को सफलतापूर्वक दागा।’ इस मौके पर डीआरडीओ प्रमुख एस क्रिस्टोफर ने कहा कि इस परीक्षण के साथ ही तेजस ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है और उसे फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस मिलने में अब ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।