नई दिल्ली। लॉकडाउन ( Lockdown in India ) में केंद्र सरकार की ओर से निजी कंपनियों ( Private companies ) को कर्मचारियों को समयबद्ध तनख्वाह देने और नौकरी से नहीं निकालने की सलाह जारी की थी लेकिन कार्रवाई के लिए गेंद राज्य सरकार के पाले में डाल दी है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ( Union Ministry of Labor and Employment) की ओर से संचालित रीजन वाइज कंट्रोल रूम में हर सैकेंड शिकायतें मिल रही है, इनमें से कई शिकायतें निजी कम्पनी में कार्यरत कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं मिलने, नौकरी से निकालने को लेकर आ रही है लेकिन उन शिकायतों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
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दरअसल, श्रम विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि निजी कंपनियों को लेकर सबसे ज्यादा शिकायतें मिल रही हैं लेकिन इन पर कार्रवाई राज्य सरकार ही कर सकती है। उनका कार्य केवल उस शिकायत को कंसर्न तक भेजना है। साथ ही ऐसी भी जानकारी मिल रही है कि कई निजी कंपनियों/फैक्ट्री मालिकों ने लॉकडाउन के समय की तनख्वाह नहीं देने की बात कार्यरत कर्मचारियों को कह दी है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की हुई अपील भी अब कई जगह बेअसर नजर आ रही है और इसका सीधा असर देश के मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ रहा है।
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एक आकड़े के मुताबिक देश में करीब 40 करोड़ से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो मध्यमवर्ग की श्रेणी में आते हैं। अब लॉकडाउन बढऩे से मध्यमवर्गीय परिवारों की मुश्किलें बढ़ गई है और इनके लिए कोई योजना फिलहाल नहीं है।श्रम विभाग की संयुक्त सचिव कल्पना राजसिंघोत ने 20 मार्च को निजी कंपनियों और सभी नियोक्ताओं के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए कहा था कि देश में कोरोना वायरस की वजह से किसी भी कर्मचारी की नौकरी नहीं जानी चाहिए।
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संतोष गंगवार (केंद्रीय श्रम मंत्री)
अभी इस बारे में मुझे पूरी जानकारी नहीं है, अभी बरेली दौरे पर आया हुआ हूं, शुक्रवार दोपहर 2 बजे दिल्ली पहुंचकर ही इसपर जानकारी दे पाऊंगा।