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वसीयत के लिए स्टाम्प या नोटरी जरूरी नहीं, टिश्यू पेपर पर लिखी बात भी होगी मान्य

हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के मुताबिक एस्टेट प्लानिंग व वसीयत में उत्तराधिकारी का फैसला क्लास-1, क्लास-2 के संबंधियों के आधार पर होता है।

May 27, 2018 / 02:15 am

Anil Kumar

वसीयत के लिए स्टाम्प या नोटरी जरूरी नहीं, टिश्यू पेपर पर लिखी बात भी होगी मान्य

नई दिल्ली। भारत में उत्तराधिकार का कानून धर्म के आधार पर तय किया गया है। मुसलमानों के लिए अलग तो हिन्दुओं के लिए अलग। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम-1956 के मुताबिक वसीयत के आधार पर ही उत्तराधिकार का निर्णय किया जाता है। लेकिन भारतीय सिनेमा ने लोगों के बीच एक ऐसी छवि पेश की है जिससे लोग अपने जीवन में भी उसे अपनाने लगे हैं। फिल्मों में दिखाया जाता है कि वसीयत के लिए वकील और फिर स्टाम्प पेपर और नोटरी जरूरी है। लेकिन यह सब सिर्फ भ्रांति है। वसीयत के लिए ऐसा करना कोई जरुरी नहीं है। बल्कि एक टिश्यू पेपर पर लिखी वसीयत भी कानूनी तौर पर मान्य होती है। बता दें कि शनिवार को मध्य प्रदेश के इंदौर में सीए ब्रांच द्वारा आयोजित फ्यूचर ट्रेंड्स इन टैक्सेशन विषय पर आयोजित एक नेशनल कॉन्फ्रेंस में कानून के ऐसे तमाम विषयों के बारे में जानकारी साझा की गई।

सभी के लिए हैं अलग-अलग उत्तराधिकार नियम

आपको बता दें कि ये कार्यक्रम दो दिन के लिए आयोजित की गई है। इस दौरान पहले दिन मुंबई से आए डॉ. अनूप पी शाह ने बताया कि जैन, सिख और बौद्ध नागरिकों पर हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम-1956 लागू होता है, जबकि मुसलमानों में विवाह, उत्तराधिकारी और संपत्ति विभाजन जैसे मामलों में फैसला मुस्लिम पर्सनल लॉ के आधार पर किया जाता है। वहीं ईसाई, पारसी और यहूदी के लिए अलग से भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम बना हुआ है। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के मुताबिक यदि कोई संयुक्त परिवार है तो उसमें एस्टेट प्लानिंग व वसीयत में उत्तराधिकारी का फैसला क्लास-1, क्लास-2 के संबंधियों के आधार पर होता है। अगर इस श्रेणी में कोई उत्तराधिकारी नहीं है तो एग्नेट्स यानी पिता के संबंधी और यदि वे भी न हों तो कॉग्नेट्स यानी माता के संबंधी उत्तराधीकारी हो सकते हैं। इस अधिनियम के मुताबिक पुत्र की संपत्त में मां पहले स्तर की उत्तराधिकारी हो सकती हैं लेकिन पिता नहीं। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम में एक खास बात यह बताई गई है कि हिन्दू संयुक्त परिवार में कर्ता लड़की भी हो सकती है लेकिन शर्त यह है कि कर्ता वही संतान बनेगी जो बड़ी हो, चाहे वह लड़की हो या लड़का।

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