चुनाव के ठीक पहले चार्जशीट दाखिल होना सीएम नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) के गले की फांस भी बन सकती है। ऐसा इसलिए कि आरजेडी के नेता जोरदार तरीके से इस घोटाले में सीएम की संलिप्तता के आरोप लगाते रहें हैं।
Unlock-1 : लॉकडाउन के बाद मनरेगा ने थामा प्रवासी मजदूरों का हाथ, रोजगार दर हुई 35.7 प्रतिशत दरअसल, सृजन घोटाला देश के उन गिने चुने घोटालों में से एक है जहां जांच एजेंसी सीबीआई आरोप पत्र ( CBI Chargesheet ) तो दायर कर रही हैं लेकिन इस सृजन के सचिव व कर्ताधर्ता प्रिया और उनके पति अमित की गिरफ़्तारी की कोशिश नहीं की है। फिलहाल, इस मामले में सीबीआई ने शनिवार को पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया ( Former IAS KP Ramaiah ) के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की है। लेकिन सृजन की फांस ऐसी है कि विपक्ष को सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ हमला करने का मौका मिल सकता है।
2014 के लोकसभा चुनाव में केपी रमैया जनता दल यूनाइटेड के टिकट से सासाराम में पार्टी के प्रत्याशी भी रहे हैं। चुनाव हारने के बाद उन्हें एक ट्रिब्युनल का अध्यक्ष भी बनाया गया। बाद में नीतीश कुमार से उनके संबंध में खटास इसलिए आ गई क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ( Ex CM Jeetan Ram Manjhi ) को नीतीश के ख़िलाफ़ भड़काने वालों में रमैया भी एक थे।
इससे पूर्व रमैया के ख़िलाफ़ बिहार में निगरानी विभाग ने महादलित विकास मिशन में 5 करोड़ के घोटाले में चार्जशीट दायर कर चुकी है। माना ये जा रहा हैं उन्हें उनकी पहुंच के वजह से कभी गिरफ़्तार नहीं किया गया। पटना हाईकोर्ट ( Patna High Court ) का फ़ैसला जिसे बाद में ख़ारिज किया गया उसमें भी रमैया के मामले का विस्तार से चर्चा की गई थी।
Lockdown Impact : नासा, जाक्सा और ईसा के उपग्रहों ने किया अध्ययन, लॉकडाउन के कारण कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय गिरावट सीबीआई ( CBI ) ने शनिवार को 3 आरोप पत्र दायर किए हैं। पहली चार्जशीट में 3.5 करोड़ की धोखाधड़ी, जालसाज़ी, भ्रष्टाचार और आपराधिक षड्यंत्र के लिए रमैया और 28 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दायर किया है। इसमें बैंक अधिकारी, ज़िला अधिकारी के कार्यालय में काम करने वाले अधिकारी शामिल हैं। इससे पूर्व भी एक और पूर्व ज़िला अधिकारी वीरेंद्र यादव के ख़िलाफ़ सीबीआई ने चार्जशीट दायर किया था।
सृजन घोटाला ( Srijan Scam ) साल 2017 के अगस्त में सामने आया था। बैंक से जुड़े फ़र्ज़ीवाड़ा के मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई थी। इस मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि 1400 करोड़ के इस घोटाले के मुख्य आरोपी को कभी गिरफ़्तार करने में जांच एजेंसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई।