रूस की कंपनी स्पूतनिक का दावा है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) के डेल्टा वेरिएंट से निपटने में उनकी वैक्सीन किसी अन्य कंपनी की वैक्सीन की तुलना में ज्यादा प्रभावी है। भारत में स्पूतनिक-वी का निर्माण डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरी कर रही है। यह वैक्सीन गत 18 मई से देश में वैक्सीनेशन के लिए बनाए गए कोविन ऐप पर कुछ प्रमुख शहरों के लिए उपलब्ध है।
दरअसल, डेल्टा वेरिएंट का पहला केस भारत में ही गत वर्ष अक्टूबर में दर्ज किया गया था। स्पूतनिक-वी रूस की प्रत्यक्ष निवेश कोष यानी आरडीआईएफ और गामालेया संस्थान को भारत में आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी मिलने के बाद देश के वैक्सीनेशन कैंपेन में सीरम इंस्टीट्यूट के कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के अलावा तीसरी टीके और पहले विदेशी विकल्प के तौर पर सामने आई है।
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कुछ दिन पहले सामने आया था कि फाइजर, एस्ट्राजेनेका के टीके कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट से बचा सकते हैं। डेल्टा वेरिएंट ब्रिटेन के अल्फा वेरिएंट से अधिक खतरनाक है। पब्लिक हेल्थ स्कॉटलैंड और यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग, ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने पाया कि फाइजर बायोएनटेक की वैक्सीन ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका की वैक्सीन की तुलना में अधिक प्रभावी है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका की वैक्सीन का उत्पादन भारत में कोविशील्ड के नाम से हो रहा है। इस शोध में बीते गत 1 अप्रैल से 6 जून तक के आंकड़ों का अध्ययन किया गया है। शोधकर्ताओं की टीम ने इस बीच सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण के 19 हजार 543 केस का अध्ययन किया। इनमें 377 लोगों को स्कॉटलैंड में कोविड-19 के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। इनमें से 7 हजार 723 सामुदायिक मामलों और अस्पतालों में भर्ती मरीजों के 134 केस में कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट का पता चला।
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