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West Bengal: बेटे -बहू बुजुर्गों को घर से नहीं निकाल सकते: हाईकोर्ट

संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किसी भी बुजुर्ग व्यक्ति को अपने घर में रहने का पूरा अधिकार है। वरिष्ठ नागरिक अधिनियम 2007 के तहत भी बुजुर्ग व्यक्ति को अपने घर में रहने का पूरा अधिकार है। जरूरत पडऩे पर बेटे और बहू घर से बेदखल किया जा सकते है…

Jul 26, 2021 / 11:57 pm

Ashutosh Kumar Singh

West Bengal: बेटे -बहू बुजुर्गों को घर से नहीं निकाल सकते: हाईकोर्ट

कोलकाता
बुजुर्ग लोगों को अपने घर में रहने का पूरा अधिकार है। बेटे और बहू उन्हें घर से नहीं निकाल सकते। वहीं बुजुर्गों को बेटे और बहू को घर निकालने का भी अधिकार है।
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कानून का भी सहारा
कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस राजशेखर मंथा ने एक मामले की सुनाई के दौरान ये बातें कही है। जस्टिस ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किसी भी बुजुर्ग व्यक्ति को अपने घर में रहने का पूरा अधिकार है। वरिष्ठ नागरिक अधिनियम 2007 के तहत भी बुजुर्ग व्यक्ति को अपने घर में रहने का पूरा अधिकार है। जरूरत पडऩे पर बेटे और बहू घर से बेदखल किया जा सकते है।

अदालत जाना दर्दनाक
न्यायधीश मंथा ने कहा घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 जो कि पुत्र व वधू की सुरक्षा का आह्वान करता है, आवास के लिए कोई विशिष्ट स्पष्टीकरण प्रदान नहीं करता है। उन्होंने आगे टिप्पणी की कि जीवन के आखिरी दिनों में एक नागरिक को अदालत जाने के लिए मजबूर करना बेहद दर्दनाक है।

पुलिस को निर्देश
नदिया जिले के ताहेरपुर इलाके के एक बुजुर्ग दम्पती को बेटे और बहू ने घर से निकाल दिया था। उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पीठ ने ताहेरपुर पुलिस को बुजुर्ग दम्पती की शिकायत को गंभीता से लेने का निर्देश दिया है।

माता पिता की मर्जी
दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 2016 में यही फैसला सुनाया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि बेटा केवल माता-पिता की मर्जी से ही उनके घर में रह सकता है। माता-पिता की मर्जी के बिना बेटे को उनके घर में रहने का कानूनी अधिकार नहीं है, चाहे उसकी उसकी शादी हुई हो या न हुई हो।

सम्पत्ति पर कानूनी अधिकार
वर्ष 2017 में अन्य एक केस में फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि जिन बुजुर्गों के बच्चे उनसे खराब व्यवहार करते हैं, वे किसी भी तरह की प्रॉपर्टी से, वसीयत से बच्चों को बेदखल कर सकते हैं। सिर्फ माता-पिता की कमाई से बनी संपत्ति पर ही यह बात लागू नहीं होती, बल्कि यह प्रॉपर्टी उनकी पैतृक और किराए की भी हो सकती है जो बुजुर्गों के कानूनी कब्जे में हो, उस पर भी लागू होगी।

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