एक बार फिर वे लोगों की सुविधा के लिए देश की पहली आइस टनल बनाने में जुटे हैं। इसको लेकर खुद उन्होंने एक अपने यू-ट्यूब चैनल पर वीडियो के जरिए इसका खुलासा किया है।
इस वर्ष अंतरिक्ष में फिर इतिहास रचने को तैयार है इसरो, चेयरमैन के सिवन ने बताई खास वजह सोनम वांगचुक लगातार लोगों के लिए नए-नए आविष्कार उनकी जिंदगी को आसान बनाने का कोशिश करते रहते हैं। एक बार फिर वे इस कोशिश में जुटे हैं। इन दिनों भी वह अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के काम कर रहे हैं।
दरअसल जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) को लद्दाख (Ladakh) से जोड़ने वाले श्रीनगर-लेह हाईवे पर सोनम वांगचुक जोजिला में बर्फ की सुरंग (Ice Tunnel) बनाना चाह रहे हैं। ताकि साल के हर महीने इस रूट पर वाहनों का आवागमन जारी रहे।
सोनम वांगचुक ने इसका एक वीडियो भी अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है। दरअसल ये वीडियो उनके यू-ट्यूब चैनल से लिया गया है। इसमें देखा जा सकता है कि कैसे वह विभिन्न मॉडल्स पर काम कर रहे हैं। सोनम वांगचुक का मानना है कि जोजिला सुरंग बनने के बाद श्रीनगर और लेह के बीच आवागमन काफी आसान हो जाएगा।
यह सुरंग करीब 14.15 किमी लंबी होगी। हालांकि इसके बनने के बाद बर्फ को लेकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। अगर जोजिला पास से इस सुरंग के रास्ते पूरे साल यातायात जारी रह सकता है तो इससे हिमस्खलन का खतरा भी बना रहेगा।
उनका मानना है कि इसके लिए सरकार को इस इलाके में बड़े पैमाने पर लोग और मशीनें तैनात करने पड़ेंगे। ऐसे मोटी होती जाएगी बर्फ की सतह
सोनम वांगचुक ने इस प्रोजेक्ट को लेकर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अफसरों से भी बात की है। सोनम वांगचुक ने कहा है कि अगर हाईवे के ऊपर किसी तरह से चार इंच मोटी बर्फ को जमाने में सफलता मिल जाए तो बर्फ की सतह अपने आप मोटी होती जाएगी।
सोनम वांगचुक ने इस प्रोजेक्ट को लेकर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अफसरों से भी बात की है। सोनम वांगचुक ने कहा है कि अगर हाईवे के ऊपर किसी तरह से चार इंच मोटी बर्फ को जमाने में सफलता मिल जाए तो बर्फ की सतह अपने आप मोटी होती जाएगी।
सोनम ने बनाए पर्यावरण के अनुकूल टेंट
आपको बता दें कि हाल ही में सोनम वांगचुक ने सौर ऊर्जा से गर्म रहने वाला पर्यावरण अनुकूल तम्बू (टेंट) विकसित किए हैं। इसका इस्तेमाल सेना के जवान लद्दाख के सियाचिन एवं गलवान घाटी जैसे अति ठंडे इलाके में कर सकते हैं।
आपको बता दें कि हाल ही में सोनम वांगचुक ने सौर ऊर्जा से गर्म रहने वाला पर्यावरण अनुकूल तम्बू (टेंट) विकसित किए हैं। इसका इस्तेमाल सेना के जवान लद्दाख के सियाचिन एवं गलवान घाटी जैसे अति ठंडे इलाके में कर सकते हैं।
जानिए पीएम मोदी दूसरे चरण की शुरुआत में क्यों और कौनसी वैक्सीन लगवाई, क्या है इसके राजनीतिक मायने वांगचुक ने कई पर्यावरण अनुकूल अविष्कार किए हैं। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा से गर्म रहने वाले सैन्य टेंट जीवाश्म ईंधन बचाएंगे, जिसका पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है और साथ ही सैनिकों की सुरक्षा भी बढ़ाएंगे।
वांगचुक के मुताबिक ये टेंट दिन में सौर ऊर्जा को जमा कर लेते हैं और रात को सैनिकों के लिए सोने के गर्म चेम्बर की तरह काम करते हैं।