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इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर कुछ तस्वीरें भी शेयर की थी। इन तस्वीरों में पीएम मोदी एक विशेष चश्मे के साथ दिखाई दिए थे। आपको बता दें कि दक्षिण भारत में यह सूर्यग्रहण अधिक स्पष्ट दिखाई दिया था। यहां पर बहुत ही साफ और अच्छा ‘रिंग ऑफ फायर देखने को मिला।’ यह ग्रहण इस वजह से भी खास था कि क्यों ज्योतिष के अनुसार यह अद्भुत नजारा 296 साल बाद देखने को मिला था।
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आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने सूर्य ग्रहण की जो तस्वीरें शेयर की थीं, उनमे वो एक खास चश्मा लगाए दिखाई दिए थे। चूंकि सूर्य ग्रहण को साधारण चश्मे से नहीं देखा जा सकता और इसके एक विशेष चश्मे की व्यवस्था की जाती है। पीएम मोदी के ट्वीट पर सोशल मीडिया यूजर्स में चश्मे की कीमत को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई थी। जिसमें किसी ने उनके चश्मे की कीमत डेढ़ लाख बताई थी तो किसी ने एक करोड़ रुपए।
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क्या होता है रिंग आफ फायर
दरअसल, पिछली बार सूर्य ग्रहण एक आग की अंगूठी की तरह नजर आया था। इसलिए वैज्ञानिकों ने इसे ‘रिंग ऑफ फायर’ का नाम दिया था। इस ग्रहण में सिर्फ सूरज का मध्य भाग ही छाया के क्षेत्र में आता है जबकि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित रहता है।