लेकिन इस बात का खुलासा किसी ने नहीं किया कि किन प्रक्रियाओं और किस आधार पर लॉकडाउन 2.0 के लिए गाइडलाइन को अंतिम रूप दिया गया। हालांकि, 14 अप्रैल को पीएम मोदी ने इस बात के संकेत जरूर दिए थे कि कोविद-19 से निपटने के लिए ब्लॉकों, जिलों और राज्यों के प्रदर्शन के आधार पर गृह मंत्रालय 15 अप्रैल को गाइडलाइन जारी करेगी। फिलहाल जारी गाइडलाइन के अनुरूप 3 मई तक सभी तरह की गतिविधियां संचालित होंगी।
ICMR : चमगादड़ों से इंसान में कोरोना वायरस आने की घटना 1000 साल में एकाध बार होता है साथ ही लॉकडाउन 2.0 के लिए गाइडलाइन उभरकर सामने आते ही साफ हो गया कि कृषि अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, कोर इंडस्ट्री, विनिर्माण क्षेत्र, सड़क व रोजागर, ग्रामीण अर्थव्यवस्था जैसे फैक्टर्स का गाइडलाइन तय होने में सबसे ज्यादा असर रहा।
आम आदमी को इस बात का भी पता तभी चला कि सरकार ने लॉकडाउन 2.0 के लिए दिशानिर्देशों को तय करने से पहले कई स्तरों पर डॉक्टरों, सशक्त समूहों, मंत्रालयों और विशेषज्ञों, श्रमिक संगठनों, उद्योगपतियों व अन्य प्रभावी समूहों से राय लेने की प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही दिशानिर्देश जारी करने का निर्णय लिया।
गाइडलाइन का आधार ठप पड़ी कृषि और संबंधित गतिविधियां, जर्जर होती ग्रामीण अर्थव्यवस्था, विनिर्माण क्षेत्र, आधारभूत ढांचा जैसे सड़क, परिवहन, बिजली, एमएसएमई, दैनिक वेतन भोगी, प्रवासी मजदूर, निर्णायक श्रम बल, सशक्त समूह, रोजगार का गिरता ग्राफ, आम आदमी की पर्याप्त सुरक्षा और अनिवार्य मानक ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल ( SOP ) के साथ चुनिंदा औद्योगिक गतिविधियों को अपने संचालन को फिर से शुरू करने, डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे कारक गाइडलाइन के आधार बने। इन्हीं मुद्दों को अलग-अलग हितधारक समूहों ने सरकार के समने प्रस्तुत किया और सरकार को लॉकडाउन 2.0 के दौरान छूट देने के लिए बाध्य होना पड़ा।
Covid-19: सुशील मोदी ने किया आरजेडी-कांग्रेस पर पलटवार, कहा – बाहर से आने वालों की वजह से बिगड़े हालात इस प्रकिया के तहत तय हुई गाइडलाइंस 1. केंद्र ने देश में कोरोना वायरस ( coronavirus ) के खिलाफ जंग जीतने के लिए 11 सशक्त समूहों का गठन किया थां। इन संगठनों को कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ने के लिए विभिन्न पहलुओं पर रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इन समूहों ने कई बैठकों के माध्यम से स्वास्थ्य विशेषज्ञों, उद्योगपतियों, प्रभावितों, विभिन्न व्यवसायों के संगठनों, कृषकों समेत कई लोगों से विचार साझा किए।
2. विभिन्न स्तर पर बैठकों और हितधारकों से विचार साझा करने के बाद सशक्त समूहों ने अपनी सिफारिशें सरकार के समक्ष प्रस्तुत की। भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों ने भी अपने-अपने हितधारकों के साथ इस संबंध में परामर्श किया और सिफारिशें सरकार को सौंप दी।
3. इन सिफारिशों के आधार पर मोदी सरकार ने समय-समय पर राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों, डीजीपी और प्रदेश के अन्य प्रशासनिक विभागों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की। इस दौरान सरकार ने इन सभी के विचारों और सुझावों पर गौर किया।
4. सरकार ने दिशानिर्देश तय करने के लिए आबादी के बड़े हिस्से से मिले फीडबैक को भी ध्यान में रखा। 5. सभी स्तरों पर मिले सुझावों के बाद गृह मंत्रालय ने दिशानिर्देशों को तैयार करते समय सशक्त समूहों, मंत्रालयों और राज्य सरकारों से मिले विभिन्न सुझावों पर विचार किया। दिशानिर्देश तैयार करते समय स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के मुद्दों को सावधानीपूर्वक संतुलित रखने पर ध्यान दिया गया। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में प्रधान सचिव व अन्य सचिवों के साथ कैबिनेट सचिव द्वारा दिशानिर्देशों के मसौदे को अंतिम रूप दिया गया।