वकील भावुक चौहान की अध्यक्षता वाली एक कानूनी टीम के माध्यम से दायर याचिका में अदालत से आपराधिक प्रक्रिया संहिता ( CRPC ) की धारा 167 (2) के तहत शरजील को डिफॉल्ट बेल (जमानत) पर रिहा करने के निर्देश देने की मांग की गई है।
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याचिका में ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को भी चुनौती दी गई है, जिसके तहत अदालत ने मामले में चार्जशीट दाखिल करने के लिए दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच को और समय दिया था।
पिछले हफ्ते, दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने शरजील इमाम द्वारा भड़काऊ भाषण दिए जाने के मामले में दायर जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।
शरजील ने अपनी जमानत अर्जी में दावा किया था कि पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के बाद वैधानिक 90 दिन की अवधि के भीतर जांच पूरी नहीं की।
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हालांकि, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा कि जांच पूरी करने के लिए और समय पहले ही दिया जा चुका है, वह भी 25 अप्रैल को वैधानिक अवधि समाप्त होने से पहले।
शरजील ने दिल्ली हाईकोर्ट में निचली अदालत के आदेश को भी चुनौती दी है।
इससे पहले 1 मई को, दिल्ली पुलिस ने शहर की अदालत को बताया था कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र शरजील इमाम पर देश की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने के लिए एक विशेष धार्मिक समुदाय को उकसाने का आरोप है। इसलिए उस पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम ( UAPA ) लगाया गया।