मुरली टैक्स और प्रॉपर्टी की अच्छी समझ रखता था इसके बाद वह धीरे-धीरे कब स्वामी श्रद्धानंद बन गया किसी को पाता ही नहीं चला। शाकिरा की चार केवल बेटियां ही बेटियां थीं उसे अब बेटे कमी खलने लगी थी। बेटे की मुराद के चलते वो स्वामी से मिली। इसी चाहत में दोनों काफी करीब आ गए। उसके प्रेम में पागल आखिर में शाकिरा ने पति को तलाक दे दिया और घर बार छोड़छाड़ कर स्वामी से शादी कर ली फिर दोनों बेंगलुरु शिफ्ट हो गए। मां के इस फैसले से बेटियां बेहद नाखुश थीं। इसलिए उसकी तीन बेटियां उससे से अलग हो गईं। लेकिन चौथी बेटी सबा मां से अलग नहीं हो पाई। मॉडलिंग के शौक को पूरा करने के लिए मुंबई चली गई लेकिन बीच-बीच में मां से मिलने आ जाया करती थी।
पांच साल तक तो सबकुछ ठीक रहा। दोनों बेंगलुरु में एक दूसरे के साथ खुश थे। लेकिन अचानक एक दिन शाकिरा गायब हो गई। मुंबई से बेटी सबा ने मां को कई फोन किए, फिर स्वामी को भी कॉल लगाई। लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। लिहाजा वो बेंगलुरु चली आई। स्वामी ने खोजबीन में पूरे नौ महीने लग गए। फिर एक रोज स्वामी ने बताया कि उसकी मां प्रेग्नेंट है और अमेरिका के रूजवेल्ट हॉस्पिटल में चेक अप के लिए गईं हैं। मां की खोज में दरबदर भटक रही सबा ने रूजवेल्ट हॉस्पिटल में पता किया। लेकिन वहां शाकिरा खलीली नाम की कोई महिला एडमिट ही नहीं थी। सबा समझ गई कि स्वामी उससे कुछ छुपा रहा है। लिहाजा उसने पुलिस में मां की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी।
ज़ाहिर है पुलिस का पहला शक स्वामी पर ही होगा। उससे पूछताछ भी की गई। शहर में काफी रसूख होने के कारण, पुलिस उससे सख्ती नहीं कर पा रही थी। काफी पड़ताल के बाद भी कोई सुराग नहीं मिल रहा था। इसके बाद नौबत केस बंद करने तक आ गई। लेकिन एक रात ऐसा कुछ हुआ कि शाकिरा से जुड़ी एक अहम खबर सबके सामने आई। वो रात थी 29 अप्रैल 1994 की। उस रात बेंगलुरु क्राइम ब्रांच का कॉस्टेबल एक ठेके पर बैठा था। तभी शराब में धुत एक शख्स वहां पहुंचा। वो कॉस्टेबल के सामने ही कहने लगा कि जिस शाकिरा को पुलिस ढूंढ रही है वो तो जिंदा ही नहीं है। पुलिस ने उस शख्स को कस्टडी में लेकर पूछताछ की। ये शख्स कोई और नहीं बल्कि स्वामी का नौकर था। उसने बताया कि स्वामी ने शाकिरा को जिंदा ही ताबूत में बंद कर दफना दिया। ये वही मर्डर मिस्ट्री है, जो पूरे देश में “डान्सिंग ऑन ग्रेव” के नाम से जानी जाती है।
नौकर से हुई पूछताछ के आधार पर स्वामी को हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ की गई। तब जाकर उसने सबकुछ उगला। उसने बताया कि उसने शाकिरा से उसकी दौलत के लिए प्यार और फिर शादी की थी। उसे वो दौलत मिलने भी वाली थी। लेकिन शाकिरा ने अपनी सारी दौलत और प्रापर्टी चारों बेटियों को देने का फैसला कर लिया। जिसके बाद उसने शाकिरा की हत्या का प्लान बनाया। उसने इस वारदात को अंजाम देने के लिए 28 अप्रैल 1991 का दिन चुना। उस दिन स्वामी ने घर के सारे नौकरों को छुट्टी दे दी। फिर शाकिरा के लिए खुद चाय बनाई और उसमें बेहोशी की दवा मिलकर उसे पिला दी। चाय पीने के बाद शाकिरा बेहोश हुई तो उसे एक गद्दे में लपेटकर ताबूत में भर दिया। फिर जिंदा दफना दिया दफनाने के बाद उसने उस ज़मीन पर शानदार टाइल्स लगवा दिए।
तीन साल तक वो उसी आंगन में अपनी बीवी की कब्र के ऊपर रात को पार्टी करता था और शराब पीकर अपने दोस्तों के साथ नाचता था। पुलिस को ताबूत के अंदर नाखून की खंरोच के निशान भी मिले। जिसे देखकर साफ़ लग रहा था की होश में आने के बाद शाकिरा ने बाहर निकलने की काफी कोशिश की होगी और आखिरकार उसने तड़पड़ते-तड़पते दम तोड़ दिया होगा। इसी क्रम में ताबूत से बरामद अंगूठियों और चूड़ियों से शाकिरा की पहचान हुई। सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी को इस हत्या के लिए सजा सुनाई अब वो बेलगाम जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है।