15000 सैंपल लिए गए सीरो सर्वे-2 के लिए दिल्ली सरकार स्वास्थ्य विभाग ( Delhi Government Health Department ) ने नया एसओपी बनाया था। इसमें 18 साल से कम उम्र के 25 पर्सेंट, 18 से 49 साल के बीच में 50 पर्सेंट और 50 साल से ऊपर के 25 पर्सेंट सैंपल लिए गए थे। कुल 15 हजार सैंपल लिए गए थे। इनमें से 80 फीसदी सैंपल्स के रिपोर्ट आ गए हैं।
जानिए National Recruitment Agency कैसे देगी देश में भर्ती प्रक्रिया को नया रंग-रूप 5% लोगों में एंटीबॉडी का इजाफा सैंपल्स रिपोर्ट के आधार पर करीब 29% लोगों में कोरोना के खिलाफ ऐंटीबॉडी पाई गई है। एक महीने में ऐंटीबॉडी में 5% का इजाफा हुआ है। विशेष बात यह है कि दिल्ली में 18 साल से कम उम्र के बच्चों में सबसे ज्यादा ऐंटीबॉडी पाई गई है। अभी 15000 में से 12,598 सैंपल की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को सौंपी गई है। ढाई हजार सैंपल का आकलन अभी चल रहा है।
सीरो सर्वे-2 की रिपोर्ट के मुताबिक शरीर में ऐंटीबॉडीज मिलने का मतलब उस शख्स को कोरोना से इम्युनिटी हासिल हो चुकी है। मगर यह इम्युनिटी कितने वक्त के लिए है, इसपर अभी एक्सपर्ट्स की एक राय नहीं आई है। यानि अब दिल्ली में नोवेल कोरोना वायरस ( Novel Corona Virus ) के प्रति हर्ड इम्युनिटी ( Herd immunity ) डेवलप हो सकती है।
Weather Forecast : लगातार बरसात से Gurugram की सड़कों-चौराहों ने लिया झील का रूप, लोगों को लेना पड़ा बोट सहारा महिलाओं, बच्चों में ज्यादा ऐंटीबॉडी जानकारी के मुताबिक दूसरी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं और बच्चों में ऐंटीबॉडी ज्यादा मिली है। सबसे ज्यादा 18 साल से कम उम्र के लोगों में ऐंटीबॉडी मिली है। लगभग 28.3% पुरुषों में ऐंटीबॉडी मिली है, जबकि महिलाओं में ऐंटीबॉडी मिलने का औसत 32.2% पाया गया है। इसी तरह 18 साल से कम उम्र के 34.7% बच्चों में ऐंटीबॉडी पाई गई है। 18 से 49 साल के बीच के 28.5% लोगों में ऐंटीबॉडी पाई गई और 50 साल से ऊपर के 31.2% लोगों में ऐंटीबॉडी पाई गई है।
कोरोना वायरस के एक्सपर्ट का कहना है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों में सबसे ज्यादा ऐंटीबॉडी मिलना आश्चर्य की बात है। महिलाओं में ज्यादा ऐंटीबॉडी मिलना भी बड़ी बात है, क्योंकि घरों से ज्यादा बाहर पुरुष ही निकलते हैं।
कम्युनिटी स्प्रेड पर पहुंचा कोरोना! एक्सपर्ट का कहना है कि घर के अंदर रहने वाले बच्चों और महिलाओं में ऐंटीबॉडी का ज्यादा मिलना कहीं न कहीं यह साबित करता है कि दिल्ली में कोरोना काफी हद तक कम्युनिटी स्प्रेड के स्तर पर पहुंच चुका है और ज्यादातर लोगों में कोविड का असर नहीं हो रहा है। बिना किसी लक्षण के ही वो ठीक भी हो जा रहे हैं।
एम्स में वैक्सीन के ट्रायल को लेकर काफी संख्या में वॉलंटियर्स पहुंचे थे। इमसें से लगभग 20 पर्सेंट से ज्यादा वॉलंटियर्स में पहले से ही ऐंटीबॉडी बना हुआ था। यानि दिल्ली में कोविद—19 का पीक आकर जा चुका है, लेकिन ज्यादातर लोगों में लक्षण नहीं आने की वजह से स्थिति नियंत्रण में है।
पहला सीरो सर्वे बता दें कि दिल्ली में पहला सीरो सर्वे एनसीडीसी की अगुआई में हुआ था। तब 27 जून से 5 जुलाई के बीच 21,387 सैंपल लिए गए थे। पहले सीरो सर्वे में 23.48 फीसदी लोगों में ऐंटीबॉडी पाई गई थी। इसके यह कहा जाने लगा था कि दिल्ली में लगभग एक चौथाई लोगों में कोरोना का संक्रमण हो गया है। एक चौथाई आबादी यानी लगभग 50 लाख लोगों में ऐंटीबॉडी मिलने के बड़े मायने हैं। पहले सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही दिल्ली सरकार ने हर महीने सीरो सर्वे करने का फैसला किया।