इस खगोलीय पिंड का फारफारआउट नाम भी खगोलविदों ने ही रखा है। फारफारआउट सूर्य और प्लूटो के बीच की दूरी से चार गुना अधिक दूर है। आतंकियों के निशाने पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, जैश के आंतकी ने की ऑफिस की रेकी, अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसियों
1000 साल का लगता है समय
आपको बता दें कि खगोलविदों ने जिस फारफारआउट पिंड को खोजा है। उस पिंड की दूरी इतना ज्यादा है कि उसे सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में इसे 1000 साल का समय लगता है।
आपको बता दें कि खगोलविदों ने जिस फारफारआउट पिंड को खोजा है। उस पिंड की दूरी इतना ज्यादा है कि उसे सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में इसे 1000 साल का समय लगता है।
दो साल के अध्ययन के बाद पुष्टि
वैज्ञानिकों ने दो साल के अध्ययन के बाद इस फारफारआउट पिंड के खोज को लेकर पुष्टि की है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, सौर मंडल में खोजी गई यह वस्तु पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी की तुलना में 132 गुना अधिक है।
वैज्ञानिकों ने दो साल के अध्ययन के बाद इस फारफारआउट पिंड के खोज को लेकर पुष्टि की है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, सौर मंडल में खोजी गई यह वस्तु पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी की तुलना में 132 गुना अधिक है।
आकार में काफी छोटा है फारफारआउट
सौरमंडल में सबसे दूर पाया जाने वाला पिंड फारफारआउट का आकार काफी छोटा है। ये आकार इतना कम है कि इस पिंड को आसानी से नहीं देखा जा सकता है।
सौरमंडल में सबसे दूर पाया जाने वाला पिंड फारफारआउट का आकार काफी छोटा है। ये आकार इतना कम है कि इस पिंड को आसानी से नहीं देखा जा सकता है।
चौंकाने वाले रहस्य आ सकते हैं सामने
अनुमान के मुताबिक, इसका व्यास करीब 400 किलोमीटर के करीब है। यह बौने आकाशीय पिंड प्लूटो की श्रेणी में आता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में इस पिंड के अध्ययन से और चौंकाने वाले रहस्य सामने आ सकते हैं।
अनुमान के मुताबिक, इसका व्यास करीब 400 किलोमीटर के करीब है। यह बौने आकाशीय पिंड प्लूटो की श्रेणी में आता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में इस पिंड के अध्ययन से और चौंकाने वाले रहस्य सामने आ सकते हैं।
अध्ययन में अभी लगेगा और वक्त
वैज्ञानिकों की मानें तो सौरमंडल में सबसे दूर पाए जाने वाले पिंड को पूरी तरह समझने में काफी लंबा वक्त लगेगा। इसके बाद ही इसे स्थायी नाम दिया जा सकेगा।
वैज्ञानिकों की मानें तो सौरमंडल में सबसे दूर पाए जाने वाले पिंड को पूरी तरह समझने में काफी लंबा वक्त लगेगा। इसके बाद ही इसे स्थायी नाम दिया जा सकेगा।
धीमी गति है बड़ी वजह
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस पिंड को समझने की प्रक्रिया में काफी लंबा वक्त इसलिए लगेगा क्योंकि इसके चलने की गति बहुत धीमी है। 3 साल पहले ही खोजा था ऐसा पिंड
खगोलविदों की एक टीम में हवाई यूनिवर्सिटी, कारनेगी इंस्टीट्यूशन फॉर साइंस और नोर्दर्न ऐरिजोना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक शामिल थे।
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस पिंड को समझने की प्रक्रिया में काफी लंबा वक्त इसलिए लगेगा क्योंकि इसके चलने की गति बहुत धीमी है। 3 साल पहले ही खोजा था ऐसा पिंड
खगोलविदों की एक टीम में हवाई यूनिवर्सिटी, कारनेगी इंस्टीट्यूशन फॉर साइंस और नोर्दर्न ऐरिजोना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक शामिल थे।
उत्तराखंड को लेकर मौसम विभाग ने फिर जारी किया बड़ा अलर्ट, देश के इन राज्यों में बारिश बढ़ा सकती है मुश्किल वे सालों से हमारे सौरमंडल के बाहर और प्लूटो के आगे के क्षेत्रों का पर्यवेक्षण कर रहे थे। उन्होंने 2018 में सौरमंडल के दूरस्थ छोटे ग्रह फारआउट की खोज भी की थी, जो उस समय का सौरमंडल का सबसे दूर का पिंड का था।
फारफारआउट से पहले सौरमंडल का सबसे दूरस्थ पिंड ‘फारआउट’ को माना जाता था। फारआउट पृथ्वी-सूरज के बीच फासले से 128 गुना दूरी पर मौजूद है। इन दोनों पिंडो की खोज एक ही वैज्ञानिक की टीम ने की है।