Pegasus: मोदी सरकार पर कांग्रेस का बड़ा आरोप, बंगाल चुनाव के दौरान TMC सांसद अभिषेक बनर्जी की हुई जासूसी
दरअसल, पेगासस जासूसी विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 9 याचिकाएं दायर की गई हैं। ये सभी याचिकाएं चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच के सामने दायर की गई हैं। इन सभी याचिकाओं में मांग की गई है कि इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराई जाए। साथ ही कोर्ट से ये मांग की गई है कि सरकार से इसपर स्पष्टीकारण मांगा जाए और आगे इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल न करने के आदेश जारी किए जाएं।
कोर्ट में 9 याचिकाएं दायर
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में पेगासस जासूसी मामले कीं जांच कराए जाने की मांग को लेकर अब तक कुल 9 याचिकाएं दायर की गई हैं। इन सभी याचिकाओं पर चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच में गुरुवार (5 अगस्त) को सुनवाई होगी। जिन लोगों ने याचिका दायर की है उनमें ये 9 शामिल है..
– वरिष्ठ वकील मनोहर लाल शर्मा ने पहली याचिका दायर की है।
– दूसरी याचिका सीपीएम के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने दायर की है।
– वरिष्ठ पत्रकारों एन राम और शशि कुमार ने तीसरी याचिका दायर की है।
– पांच पत्रकार परंजोय गुहा ठाकुरता, एसएनएम आब्दी, प्रेम शंकर झा, रूपेश कुमार सिंह और ईप्सा शताक्षी की ओर से तीन याचिकाएं दायर की गई हैं।
– मीडिया संपादकों के समूह एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पेगासस जासूसी पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
– मध्य प्रदेश के रीवा के रहने वाले नरेंद्र मिश्रा ने भी एक याचिका दायर की है।
– एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के जयदीप छोकर की ओर से भी एकयाचिका दायर की गई है। यह संस्था राजनीतिक स्वच्छता और चुनाव सुधार के लिए काम करती है।
सरकार का विपक्ष के आरोपों से इनकार
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करते हुए ये स्पष्ट कर दिया है कि सरकार से इसका कोई लेना-देना नहीं है। भारत की छवि को खराब करने के लिए यह अंतर्राष्ट्रीय साजिश है। इधर याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में ये कहा है कि पेगासस सॉफ्टवेर बनाने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि वह सिर्फ और सिर्फ किसी देश की सरकार को ही इसे बेचती है। ऐसे में सरकार से ये सवाल है कि क्या इस सॉफ्टवेयर को खरीदा गया है या नहीं?
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यदि सरकार ने नहीं खरीदा तो क्या किसी सरकारी व्यक्ति ने पद को दुरुपयोग कर इस सॉफ्टवेटर को खरीदा है। दोनों ही परिस्थितियों में इसकी जांच होनी चाहिए। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि चूंकि बात सिर्फ किसी की जासूसी की नहीं है, बल्कि ऐसा करना किसी के निजता के मौलिक अधिकार का हनन है। सरकार सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले पर ही किसी की जासूसी कर सकती है और इसके लिए भी आधिकारिक तौर पर इजाजत लेनी होती है।