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सावन का पहला सोमवार आज, जानें भगवान शिव की पूजा विधि और उसका महत्व

इस बार सावन का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि सावन के प्रथम दिन भी सोमवार है और अंतिम दिन रक्षा-बंधन वाले दिन भी सोमवार है। साथ ही सावन में पांच सोमवार का अति शुभ योग है।
अभिषेक के बाद अथवा नित्य शिव जी को कम से कम 12 बेल पत्र चढ़ाएं। सभी बेलपत्र पर देशी घी से “राम-राम” लिख कर ॐ नम: शिवाय शिवाय नम: मन्त्र से एक-एक कर शिव जी को अर्पित करें।

Jul 06, 2020 / 08:27 am

Dhirendra

इस बार सावन का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि सावन के प्रथम दिन भी सोमवार है और अंतिम दिन रक्षा-बंधन वाले दिन भी सोमवार है।

नई दिल्ली। सावन का महीना आज से शुरू हो गया है और आज ही पहला सोमवार है। इस दौरान हर कोई शिव जी की आराधना में तल्लीन दिखाई देता है। लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार भगवान शिव की मंदिरों में पूजा करना इस बार शायद पहले की तरह आसान न हो। खासकर देश के बड़े शिव मंदिरों में तो केवल पुजारी ही पूजा कर पाएंगे। ऐसे में इस बार घर में ही भगवान शिव की पूजा करना सबसे अच्छा रहेगा।
पहला और अंतिम दिन सोमवार

इस बार सावन का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि सावन के प्रथम दिन भी सोमवार है और अंतिम दिन रक्षा-बंधन वाले दिन भी सोमवार है। इस प्रकार इस वर्ष सावन में पांच सोमवार का अति शुभ योग है। सावन भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना है। अतः सावन भर शिव-पूजा-आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
शिव की पूजा विधि

सबसे पहले शिव जी को पंचामृत स्नान कराकर गंगा-जल अथवा शुद्ध जल में कुश, दूध, हल्दी एवं अदरक का रस मिलाकर रूद्राभिषेक करने से आप वर्ष पर्यंत धन-धान्य से पूर्ण रहते हुए निरोग रहेंगे।
अभिषेक के बाद अथवा नित्य शिव जी को कम से कम 12 बेल पत्र चढ़ाएं। सभी बेलपत्र पर देशी घी से “राम-राम” लिख कर ॐ नम: शिवाय शिवाय नम: मन्त्र से एक-एक कर शिव जी को अर्पित करें। बेलपत्र 12 ही नहीं अपितु यथा शक्ति 108 या 1100 भी चढ़ा सकते हैं। बेलपत्र अर्पित करने के बाद “ॐ हौम ॐ जूँ स:” इस मन्त्र का जाप करने से आयु, आरोग्य और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।
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शिवजी को लगाएं भस्म

शिवजी को भस्म अवश्य लगाना चाहिए। भस्म मौलिक-तत्व का प्रतीक है और वृषभ( बैल) जगत जननी धर्म-प्रतीक शक्ति का प्रतिनिधि है। अपने समस्त कार्य-सिद्ध हेतु शिव के उन सिद्ध मन्त्रों का पाठ करना चाहिए, जिनसे शक्ति दुर्गा की भी स्तुति हो।
घर में ऐसे करें शिव की पूजा

पारद शिवलिंग

शिवलिंग रूप जिसका अर्थ निराकार हैं की पूजा करना चाहते हैं तो बता दें कि ऐसा संभव है। घर में पूजा करना चाहते हैं तो सबसे बेहतर पारद शिवलिंग की पूजा करना हो सकता है। खासकर संतानहीन दंपति को संतान की प्राप्ति होती है। इस शिवलिंग के लिए तो यहां तक कहा जाता है कि जो पुण्य 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन से प्राप्त होता है वही पुण्य पारद शिवलिंग के पूजन मात्र से होता। पारद शिवलिंग की विधि विधान के सात पूजा करने से घर में दरिद्रता दूर हो जाती है।
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स्फटिक शिवलिंग

स्पटिक शिवलिंग घर पर लाकर पूजा अर्चना करने से घर के कलह कलेश खत्म होते हैं। ऐसा माना जाता है कि स्फटिक शिवलिंग की पूजा से घर की सुख शांति बरकरार रहती है।
सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रचलित कथाओं के अनुसार इस शिवलिंग का नाम नर्मदा नदी से पड़ा है जिस कारण नर्मेदेश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है। मान्यता है कि नर्मेदेश्वर के आशीर्वाद से यम का भय नहीं रहता।
इन सबके अलावा मिट्टी जल, भस्म, चंदन, शहद आदि से बना पार्थिव शिवलिंग भी बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है सावन के महीने में इन शिवलिंग की अराधना से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है।
घर में छोटा शिवलिंग रखें

देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां घर में नहीं रखनी चाहिए, लेकिन शिवलिंग रख सकते हैं, क्योंकि शिवलिंग को निराकार स्वरूप माना गया है। इस कारण इसे खंडित नहीं माना जाता है। टूटा शिवलिंग भी पूजनीय होता है। ध्यान रखें घर में ज्यादा बड़ा शिवलिंग नहीं रखना चाहिए।
सुबह-शाम करें शिवजी की पूजा

सावन में सुबह-शाम शिवलिंग की पूजा जरूर करें। अगर विधिवत पूजा नहीं कर पाते हैं तो दीपक जरूर जलाएं। दीपक जलाकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप 108 बार करें। मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए।

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