लद्दाख सीमा पर टेंशनः भारत का चीन को करारा जवाब, तंबू तानकर सेना की तैनाती मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सैटेलाइट तस्वीरों ( Satellite ) से चीन की तरफ लाए गए तोपखाने और काफी मशीनों की तैनाती दिखाई दे रही है, जिससे भारतीय सेना उनकी मारक क्षमता के भीतर आ गई है। सैटेलाइट तस्वीरों में कम से कम 16 टैंकों की मौजूदगी के साथ पैदल सेना के लड़ाकू वाहन शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक इनमें फ्लैटबेड ट्रक, खुदाई मशीनें, डंपर ट्रक की भी पहचान की गई है, जो यह साबित करते हैं कि इलाके में चीन द्वारा स्थायी सुरक्षा व्यवस्था की तैयारी की जा रही है।
सूत्रों ने बताया, “बंकरों, जमीन पर सैनिकों और मशीन गन की तैनाती को भी देखा जा सकता है, जो यह भी दिखा रहा है कि चीन ना केवल आक्रमण बल्कि सुरक्षा के लिए भी पूरी तैयारी कर चुका है।” वहीं, भारत की ओर से भी माकूल जवाब देने के लिए और चीन को किसी भी तरह का फायदा मिलने से रोकने के लिए पुख्ता तैयारी की गई है।
सूत्रों की मानें तो बीते 5-6 मई को जब पैंगोंग झील में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी, तब इस झील के उत्तरी तट पर सबसे दक्षिणी इलाके (फॉक्सहोल प्वाइंट) के बारे में भारत को चिंतित कर दिया है। यह स्थान हथेली की तरह बनी झील की फिंगर 3 और फिंगर 4 के बीच स्थित है, जिससे चीन को क्षेत्र में वर्चस्व का लाभ मिला है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में कुछ स्थानों पर पैंगोंग झील और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में तीन अलग-अलग स्थानों पर चीनी सेना एलएसी को पार करके भारतीय क्षेत्र में चली आई है।
LAC के बारे में दोनों पक्षों की सोच पैंगोंग झील में अलग-अलग रही है, जिससे झील और उत्तरी तट पर तनाव और विवाद पैदा हुए हैं। लेकिन चीनी घुसपैठ वाले हॉट स्प्रिंग्स- गोगरा, पैट्रोलिंग प्वाइंट-14, PP-15 जैसे इलाके अब तक विवादित नहीं हुए हैं और वे LAC से 2-3 किमी आगे आ गए हैं।
जिनपिंग ने सेना से युद्ध की तैयारी के लिए कहा, पीएम मोदी ने भी NSA-CDS और तीनों सेनाओं के प्रमुखों को बुलाया गौरतलब है कि सरकार ने गुरुवार को कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत जारी है और याद दिलाया कि दोनों देशों ने सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक मीडिया ब्रीफिंग में रक्षा बलों की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारतीय सैनिक सीमा प्रबंधन के लिए बहुत जिम्मेदार रवैया अपनाते हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाली किसी भी समस्या को हल करने के लिए चीन के साथ विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करने वाली प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन करते हैं।
उन्होंने कहा, हमारे सशस्त्र बलों ने नेताओं के बीच बनी सहमति और सीमा प्रबंधन में उनके द्वारा दिए गए दिशानिर्देश का गंभीरता के साथ पालन किया है। भारत, चीन के साथ सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। 1993 के बाद से भारत और चीन ने सीमा क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने के लिए कई द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए हैं।
इसके साथ ही दोनों देशों के बीच 1996 में एलएसी के साथ सैन्य क्षेत्र में विश्वास निर्माण उपायों पर समझौता; 2005 में एलएसी के साथ सैन्य क्षेत्र में विश्वास निर्माण उपायों के कार्यान्वयन के लिए तौर-तरीकों पर प्रोटोकॉल; 2012 में भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए एक कार्य प्रणाली की स्थापना पर समझौता और 2013 में सीमा रक्षा सहयोग समझौता भी हुआ है।
केवल 12 घंटे के भीतर दो घटनाएं, Dark Web पर 18 लाख भारतीयों की जानकारी और आधार कार्ड Leak उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने सैन्य और राजनयिक दोनों स्तरों पर ऐसे तंत्र स्थापित किए हैं, जिनसे सीमावर्ती क्षेत्रों में बातचीत के माध्यम से शांति बहाल हो सकती है। उन्होंने कहा कि साथ ही भारत देश की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने संकल्प को लेकर दृढ़ है।
भारतीय सेना ने चीनी घुसपैठ पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन एक बयान में उन खबरों का खंडन किया गया है जिसमें कहा गया था कि पिछले सप्ताह एक भारतीय गश्ती दल को चीनी सैनिकों ने हिरासत में लिया था।
वहीं, बुधवार को चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीमा क्षेत्र की स्थिति समग्र रूप से स्थिर और नियंत्रण में है। भारतीय सेना अभी भी पूर्वी लद्दाख में चीनियों द्वारा किसी भी कदम उठाए जाने के संकेत का इंतजार कर रही है। गुरुवार दोपहर को एक अधिकारी ने बताया कि अगले 72 घंटे महत्वपूर्ण हैं। इस दौरान चीन की ओर से उसके सैनिकों और सैन्य उपकरणों में कमी लाए जाने को देखना है। अभी तक उनकी तैनाती में कोई बदलाव नहीं हुआ है। भारतीय पक्ष हाई अलर्ट पर भी है और कुछ भी नहीं बदला है।