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CAA के विरोध-प्रदर्शनों के लिए PFI ने बांटे 134 करोड़ रुपयेः सूत्र

कट्टर इस्लामिक संगठन के रूप में है पीएफआई की कथित पहचान।
रिहैब इंडिया फाउंडेशन द्वारा भी किया गया है पैसों का लेन-देन।
प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है कि संदिग्ध मामलों की जांच।

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नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के लागू होने के बाद से देशभर में तमाम स्थानों पर जारी इसके खिलाफ प्रदर्शनों को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सूत्रों के मुताबिक इन विरोध प्रदर्शनों को जारी रखने के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) द्वारा करीब 134 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की गई है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों को जारी रखने के लिए पीएफआई और रिहैब इंडिया फाउंडेशन एनजीओ ने सवा अरब रुपये भी ज्यादा की फंडिंग की है। इतना ही नहीं कई दिग्गज हस्तियों को भी पैसा भेजा गया है।
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रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते दिनों ईडी द्वारा पीएफआई से जुड़े कुछ मामले खंगाले गए। इस दौरान पीएफआई और रिहैब इंडिया से संबंधित 70 से अधिक बैंक खातों का पता चला। इन खातों से कथितरूप से विरोध प्रदर्शन के दौरान काफी बड़ी मात्रा में पैसों की जमा-निकासी की गई।
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इतना ही नहीं सूत्रों ने यह दावा भी किया है कि इस दौरान पीएफआई ने कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंह जैसे दिग्गज वकीलों को भी रकम भेजी है। इन बैंक खातों पर शक की सुई उस वक्त टिकी जब दो से तीन दिनों के भीतर ही करीब 120 करोड़ रुपये पहले जमा किए गए और फिर उन्हें निकाल लिया गया।
गौरतलब है कि बीते दिनों उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा पीएफआई पर पाबंदी लगाने की मांग की गई थी। इस संबंध में यह जानकारी सामने आई थी कि नागरिकता कानून के विरोध में उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार के हिंसक प्रदर्शन किए गए, उनमें पीएफआई की भूमिका थी।
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इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने दावा किया था कि प्रदेश के कई स्थानों पर दंगा-तोड़फोड़ करने के आरोप में 25 ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनका संबंध पीएफआई से था।
बता दें कि पीएफआई को एक कट्टर इस्लामिक संगठन के रूप में बताया जाता है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) इस जांच में जुटी है कि कहीं पीएफआई का इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) और सिमी के साथ कोई जुड़ाव तो नहीं है। इस बीच ऐसी खबरें भी आईं हैं कि जांच एजेंसियों को तफ्तीश में पीएफआई केरल मॉड्यूल के आईएस से जुड़ाव का पता चला है और कथितरूप से इसके सदस्यों ने इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट ज्वाइन भी किया।

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