अमरीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटिज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज की ओर से एक स्टडी की गई है। इसमें सामने आया है कि घरों में या बंद कमरों में मास्क लगाए बिना बातचीत करने से कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। स्टडी में यह भी सामने आया है कि बोलते समय मुंह से अलग-अलग आकार की श्वसन बूंदें निकलती हैं। इन बूंदों में अलग-अलग मात्रा में वायरस हो सकते हैं। स्टडी रिपोर्ट के अनुसार, मध्यम आकार वाली बूंदों से खतरा कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक है। मध्यम आकार की यह बूंदें हवा में कई मिनट तक रह सकती हैं। यही नहीं, ये बूंदें हवा के जरिए कुछ दूरी तक पहुंच भी सकती हैं।
देश में कोरोना वायरस के संक्रमण का कहर जारी है। अब तक पौने चार लाख से अधिक मौतें इस महामारी से हो चुकी हैं और रोज करीब ढाई हजार मौतों का आंकड़ा सामने आ रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का दावा है कि बीते कुछ दिनों से वायरस की तीव्रता कम हुई है, इसलिए नए केसों में कमी आ रही है।
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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटिज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज से जुड़े वैज्ञानिक एड्रियान बेक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा, जब लोग बात करते हैं तो थूक की हजारों बूंदें हवा में तैरती हैं, मगर हजारों बूंदें ऐसी भी होती हैं, जिन्हें खुली आंखों से नहीं देखा जा सकता। बेक्स ने बताया कि बोलते समय निकलने वाली इन बूंदों में वायरस भी होते हैं। इन बूंदों स जब पानी भाप बनकर बाहर निकलता है, तो धुंए की तरह कुछ देर तक हवा में तैरता है। यही बूंदें और धुंआ दूसरों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। एड्रियान बेक्स के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमण की दुनियाभर में शुरुआत के बाद से वायरस के फैलने में एयरोसोल बूंदों के शारिरीक और चिकित्सीय पहलुओं पर किए गए कई अध्ययन की समीक्षा की गई है। इससे यह निष्कर्ष सामने आया कि सार्स-सीओवी-2 का हवा से होने वाला प्रसार न केवल कोविड-19 को फैलने का मुख्य मार्ग है बल्कि, सीमित स्थानों जिनमें बंद कमरे या हॉल भी शामिल हैं, में मास्क लगाए बिना बातचीत करना उस गतिविधि को दर्शाता है, जो दूसरों के लिए सबसे ज्यादा खतरा पैदा करता है।
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