2100 चीनी फाइटर के मुकाबले भारत के पास 850 लड़ाकू विमान, फिर भी Air War में IAF है मजबूत आईआईटी कानपुर में सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष और इस शोध के लेखक एसएन त्रिपाठी ने रिसर्च के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ऐसा माना जाता है कि दिल्ली में प्रदूषण उत्तर-पश्चिम दिशा से आता है। हालांकि हमें पता चला है कि सर्दियों के दौरान दिल्ली में तीन अलग-अलग कॉरिडोर से प्रदूषक ( Air Pollution latest news ) पहुंचते हैं।
पहला कॉरिडोर उत्तर पश्चिम है जो पाकिस्तान, पंजाब और हरियाणा से प्रदूषित हवा लेकर दिल्ली पहुंचता है। दसूरा नॉर्थ-ईस्ट कॉरिडोर है जो उत्तर प्रदेश से प्रदूषक लेकर राजधानी आता है। वहीं, पूर्वी कॉरिडोर के जरिये नेपाल और उत्तर प्रदेश से प्रदूषक यहां पहुंचते हैं।
इससे पहले वर्ष 2018 में TERI और ARAI द्वारा एक शोध किया गया था। इसमें से पता चला था कि दिल्ली का 64 फीसदी प्रदूषण बाहर से जबकि 34 फीसदी एनसीआर के भीतर से पहुंचता है। वहीं, उत्तर पश्चिमी भारत से 18 फीसदी प्रदूषण यहां आता है।
भविष्य में कभी दोबारा नहीं होगी लद्दाख जैसी घटना, भारतीय सेना का नियमों में किया बड़ा बदलाव उन्होंने आगे बताया कि पूर्वी कॉरिडोर से आने वाली हवाओं में सीसा, तांबा और कैडमियम ज्यादा मात्रा में पाई जाती थीं। इससे पता चलता कि यह हवाए वहां से आती हैं जहां पर सीसा आधारित उद्योग होने की संभावना हो सकते हैं। उत्तर पश्चिम कॉरिडोर से दिल्ली आने वाली हवाओं में सेलेनियम, ब्रोमीन और क्लोरीन जैसे तत्व प्रमुख मात्रा में मौजूद पाए गए।
ये तत्व उद्योगों, दवाओं और रसायनों की वजह से भी आने की संभावना हो सकती है। वहीं, क्लोरीन के आने की संभावना ईंट-भट्टों, कचरे के जलने जैसे स्थानों और कारखानों से होती है। इस दौरान शोधकर्ताओं को ऐसे 35 तत्वों का पता चला, जिनमें से 26 तत्व अन्य की तुलना में यहां आने वाली हहवाओं में ज्यादा मात्रा में पाए गए। मोटे कणों के कुल द्रव्यमान का लगभग एक चौथाई हिस्सा यही इन 26 तत्वों में था। इसे ही PM 10 कहा जाता है।
भारत-चीन सीमा के इस इलाके में आज तक नहीं हुआ कोई संघर्ष, एक बार इलाका देख लिया तो फिर.. वहीं, आईआईटी दिल्ली स्थित सेंटर फॉर एटमॉसफेरिक स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर दिलीप गांगुली ने बताया कि टीम ने हर 30 मिनट पर इसका डाटा एकत्रित किया और फिर उसका रीयल टाइम एनालिसिस भी किया। इससे यह बात साफ हुई कि दिल्ली में प्रतिदिन दो बार प्रदूषण सर्वोच्च शिखर पर पहुंचता है। इसमें पहला पीक तड़के 3 बजे से लेकर सुबह 8 बजे के बीच पहुंचता है। जबकि दूसरा पीक टाइम रात 10 बजे के आसपास रहता है।
वैज्ञानिकों ने इस शोध को वर्ष 2018 और 2019 की दो सर्दियों में पूरा किया। इसके लिए आईआईटी दिल्ली कैंपस से सैंपल जुटाए गए। इस शोध को एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशन के लिए स्वीकृति मिल चुकी है।