उनके परिवार ने इसकी जानकारी दी है। वह यहां से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित पंजाब के मोहाली शहर में अपनी पत्रकार बेटी ननकी हंस के साथ रहते थे।
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उन्हें 16वीं शताब्दी के मशहूर साहित्यकार शेक्सपियर के सभी कृतियों का पंजाबी भाषा में कुशलतापूर्वक अनुवाद करने में लगभग दो दशकों का वक्त लगा, जिनमें 38 नाटक भी शामिल हैं।
अमृतसर के गुरुनानक देव विश्वविद्यालय ( Guru Nanak Dev University ) में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हंस ने साल 1993 में सेवानिवृत्त होने के बाद से शेक्सपियर की कृतियों को अनुवाद करने का काम पूर्णकालिक रूप से चुना और इसके साथ ही उन्होंने हेनरी अष्टम के अनुवाद के काम को भी समाप्त किया जो इस मशहूर साहित्यकार (1564-1616) के अंतिम नाटकों में से है।
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उन्हें पटियाला स्थित पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा अनुवाद कार्य सौंपा गया था।