विविध भारत

रमेश पोखरियाल बोले, 2050 तक दुनिया की शीर्ष भाषा होगी संस्कृत

छत्रपुर में तीन दिवसीय संस्कृत विश्व सम्मेलन समाप्त
संस्कृत एकमात्र वैज्ञानिक भाषा
‘भारत केंद्रित’ होगी नई शिक्षा नीति

Nov 12, 2019 / 01:33 am

Shivani Singh

नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा है कि वर्ष 2050 तक संस्कृत दुनिया की शीर्ष भाषा होगी। भारतीय संस्कृति को जानना है तो संस्कृत को फिर से जानना होगा। यहां के छतरपुर में संस्कृत भारती की ओर से आयोजित तीन दिवसीय संस्कृत विश्व सम्मेलन के समापन समारोह में उन्होंने इस भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला।
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उन्होंने कहा कि- “संस्कृत के बिना भारतीय संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती। वसुधैव कुटुंबकम् की संस्कृति भारतीय संस्कृति है, बाकी संस्कृतियां तो दुनिया को बाजार मानती हैं। संस्कृत समृद्ध भाषा ही नहीं, बल्कि जीवंत भाषा है। संस्कृत एकमात्र वैज्ञानिक भाषा है। इसमें जो बोला जाता है, वही पढ़ा जाता है और वही लिखा जाता है। संस्कृत बोलने वाले लोगों में तेज होता है, उत्साह होता है।”
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भारत केंद्रित’ होगी नई शिक्षा नीति

निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति ‘भारत केंद्रित’ होगी। इसमें भारतीय ज्ञान और विज्ञान का परिचय होगा। संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामत ने कहा कि जब तक भाषा बोली नहीं जाती, तब वह मृत होती है। संस्कृत भाषा बोली जा रही है, यह मृतभाषा नहीं है। संस्कृत भारती ने एक लाख 40 हजार संभाषण शिविर चलाकर 94 लाख लोगों को संस्कृत बोलना सिखाया है। विश्व की सभी समस्याओं का हल योग में और योग संस्कृत में है। उन्होंने बताया कि दुनिया के 23 देशों और देश के 593 जिलों में संस्कृत भारती का कार्य है।
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प्रो. गोपबंधु बने संस्कृत भारती के अध्यक्ष

सम्मेलन में संस्कृत भारती के नए अध्यक्ष के रूप में सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गोपबंधु मिश्र को मनोनीत किया गया, वहीं कालिदास विश्वविद्यालय, रामटेक के कुलपति श्रीनिवास बरखेडी उपाध्यक्ष और महामंत्री पद के लिए श्रीश देवपुजारी को चुना गया। इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, स्वागत समिति के सचिव रमेश पांडेय, संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, विहिप के संगठन महामंत्री दिनेश चंद्र, संघ के सह संपर्क प्रमुख रामलाल, राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा के अलावा तमाम संस्कृत के विद्वान और शिक्षाविद मौजूद रहे।

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