उनके जन्म के समय उनका परिवार आजादी की लड़ाई में शामिल था। उनके नाना पं. जवाहर लाल नेहरू, मां इंदिरा गांधी और पिता फिरोज गांधी देश की आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे। आजादी के बाद उनके नाना आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। इसके साथ ही उनका परिवार सदा के लिए लखनऊ से दिल्ली शिफ्ट हो गया। उनकी स्कूली शिक्षा हिमालय की तलहटियों में स्थित दून स्कूल में हुई। स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में एडमिशन लिया परन्तु जल्दी ही वह लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में शिफ्ट हो गए। वहां उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली।
उनका पूरा परिवार राजनीति में था परन्तु वह बचपन से विज्ञान और इंजीनियरिंग में रूचि लेते थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह भारत लौटे और यहां दिल्ली फ्लाईंग क्लब में उन्होंने कमर्शियल पायलट का लाइसेंस लिया और इंडियन एयरलाइंस में पायलट बन गए।
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राजीव गांधी जब ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़ रहे थे तब उनकी मुलाकात एक इटेलियन छात्रा एडविग एंटोनियो अल्बिना माइनो से हुई। एंटोनियो उस समय बेल एजुकेशनल ट्रस्ट में अंग्रेजी की पढ़ाई कर रही थी। दोनों के बीच मुलाकातें बढ़ने लगी और वर्ष 1968 में उन दोनों ने हिंदू रीति-रिवाजों से विवाह कर लिया तथा उनकी पत्नी का नया नाम सोनिया गांधी रखा गया। वर्तमान में सोनिया गांधी कांग्रेस की बागडोर संभाल रही है।
उनकी पत्नी सोनिया गांधी को इंदिरा गांधी ने अपने पुत्रवधू स्वीकार करते हुए मान दिया। वर्ष 1970 में उनकी पहली संतान राहुल गांधी तथा वर्ष 1972 में दूसरी संतान प्रियंका गांधी का जन्म हुआ।
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23 जून 1980 को उनके छोटे भाई संजय गांधी की मृत्यु की बाद कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने इंदिरा गांधी से आग्रह किया कि वे राजीव गांधी को राजनीति में आने के लिए प्रेरित करें। 16 फरवरी 1981 को राजीव गांधी विधिवत रूप से राजनीति में आए, उन्होंने चुनाव लड़ा और शरद यादव को दो लाख सैतीस हजार से भी अधिक वोटों से हराया। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी मृत्यु के पश्चात वह पूरी तरह से राजनीति में रम गए। जल्दी ही चुनाव हुए और कांग्रेस ने उनके नेतृत्व में लोकसभा की 401 सीटें जीत कर रिकॉर्ड बना दिया। वह मात्र 40 वर्ष की छोटी सी उम्र में देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बनें।
राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में देश ने कई बोल्ड फैसले लिए, जैसे मालदीव और श्रीलंका सरकार की सहायता करने के लिए सैन्य मदद भेजना, अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को आंतकियों से मुक्त कराना। उन्हें भारत में कम्प्यूटर लाने का भी श्रेय दिया जाता है। वह अक्सर आम जनता की भलाई के लिए प्रयास करते थे। उन्होंने देश की जनता को राहत पहुंचाने के लिए कई कड़े फैसले भी लिए, जिनके कारण जनता में उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी।
श्रीलंका सरकार को लिट्टे के विरुद्ध सहायता देने के लिए लिट्टे उनसे नाराज था। 21 मई, 1991 को लिट्टे के एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी मृत्यु हो गई। हमले में राजीव गांधी का शरीर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था, उनके शरीर के अवशेषों को एकत्रित कर वीरभूमि पर उनका अंतिम संस्कार किया गया जिसमें 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। उनकी स्मृति को याद रखने के लिए उनके जन्मदिवस को हर वर्ष सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाता है।