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— रवींद्रनाथ अपने माता-पिता की तेरहवीं संतान थे। बचपन में उन्हें प्यार से ‘रबी’ बुलाया जाता था। — उन्होंने अपनी मां को खो दिया जब वह बहुत छोटे थे। उनके पिता एक यात्री थे और इसलिए उन्हें ज्यादातर उनके नौकरों और नौकरानियों ने पाला।
— रवींद्रनाथ टैगोर के पिता चाहते थे कि वह एक बैरिस्टर बने। इसलिए रवींद्रनाथ टैगोर के पिता ने उन्हें इंग्लैंड में पढ़ने के लिए भेजा था। — आठ वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी, 16 साल की उम्र तक उन्होंने कला कृतियों की रचना भी शुरू कर दी।
— उन्होंने साल 1877 में ‘भिखारिनी’ और साल 1882 में कविताओं का संग्रह ‘संध्या संगत’ लिखा।
— — रवींद्रनाथ टैगोर की काव्यरचना गीतांजलि के लिए उन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। टैगोर नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले गैर यूरोपीय शख्स थे।
— यह पुरस्कार विश्व-भारती विश्वविद्यालय की सुरक्षा में रखा गया था। 2004 में इसे वहां से चोरी कर लिया गया था। — टैगोर ने ही भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ लिखा है। उन्होंने बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार सोनार बांग्ला’ भी लिखा है।
— रवींद्रनाथ टैगोर और अल्बर्ट आइंस्टीन दोनों ने मुलाकात के दौरान भगवान, मानवता, विज्ञान, सत्य और सौंदर्य पर बातचीत की थी। —रवींद्रनाथ टैगोर 1926 में इटली गए थे। जहां वह रोम में इटली के प्रधानमंत्री बेनिटो मुसोलिनी से मिले थे।
— टैगोर की बहन स्वर्णकुमारी देवी एक प्रसिद्ध कवि और उपन्यासकार थीं। वह इन उपाधियों को हासिल करने वाली बंगाल की पहली महिलाओं में से एक थीं।
— महात्मा गांधी ने रबीन्द्र जी को ‘गुरूदेव’ की उपाधि दी थी। उनकी मौत 7 अगस्त 1941 को हुई थी।