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सरकार से मांगा स्पष्टीकरण
वहीं, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन कमेटी के एक पदाधिकारी दास महापात्र ने जांच टीम की गतिविधि पर सवाल उठाया है। उनके अनुसार टीम के सदस्यों को मंदिर के आंतरिक कक्ष में प्रवेश करने की आश्यक्ता नहीं थी। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि यह कक्ष बाहर से एक लोहे के ग्रिल के माध्यम से दिखता है। दास महापात्र के मुताबिक इस बात का पता पूरे दो महीने बाद चला कि मंदिर के आतंरिक कक्ष की चाबी न तो मंदिर प्रशासन के पास है और न ही पुरी जिला कोषागार के पास। वहीं, पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने इस घटना को लेकर आडिशा सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से इस मामले में स्पष्टीकरण की मांग की है।
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शंकराचार्य ने उठाए सवाल
शंकराचार्य ने इस घटना का ठीकरा मंदिर प्रशासन पर फोड़ा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी निभाने में घोर लापरवाही बरती है। वहीं, भाजपा के प्रवक्ता पीतांबर आचार्य ने भी मुख्यमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को आगे आकर यह बताना चाहिए कि इस घटना के लिए कौन जिम्मेदार है।