बताया जा रहा है कि 29 जून यानी मंगलवार को वह राजधानी दिल्ली में राहुल गांधी से मिलेंगे। इस दौरान वे प्रियंका गांधी से भी मुलाकात कर सकते हैं। इस दौरान वे कैप्टन से मतभेद को लेकर अपनी सफाई देंगे और आगे की रूपरेखा पर चर्चा कर सकते हैं।
यह भी पढ़ेंः सीएम ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को बताया भ्रष्टाचारी, कहा- हवाला केस में हैं चार्जशीटेड पंजाब में विधानसभा चुनाव की दस्तक से पहले ही कांग्रेस में घमासान चरम पर पहुंच चुका है। कांग्रेस की पंजाब इकाई में चल रहे इस संकट से निपटने के लिए कांग्रेस ने अपने प्रयास भी तेज कर दिए हैं। माना जा रहा है कि पंजाब कांग्रेस में मचे घमासान को खत्म करने की दिशा में सिद्धू राहुल और प्रियंका से बातचीत करेंगे।
इससे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी दूसरी बार कांग्रेस आलाकमान ने बातचीत के लिए बुलाया था। वहीं सोनिया गांधी की ओर से बनाई तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट के बाद ये बात साफ कर दी है कि आगामी विधानसभा चुनाव कैप्टन अमरिंदर के नेतृत्व में भी लड़ा जाएगा।
पंजाब यूनिट में गुटबाजी को हल करने के लिए गठित कांग्रेस पैनल ने 10 जून को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। कैप्टन ने अपना रुख कर दिया साफ
तीन सदस्यीय कमेटी के साथ बैठक के दौरान कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने साफ कर दिया था कि नवजोत सिंह सिद्धू को न तो उपमुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार किया जाएगा और न ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में।
तीन सदस्यीय कमेटी के साथ बैठक के दौरान कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने साफ कर दिया था कि नवजोत सिंह सिद्धू को न तो उपमुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार किया जाएगा और न ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में।
इन नेताओं से मुलाकात कर चुके राहुल
राहुल गांधी पिछले दिनों में पंजाब के कई नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। इनमें विजेंद्र, राणा गुरजीत सिंह, ढिल्लो और विधायक लखवीर सिंह शामिल हैं । यह भी पढ़ेंः शरद पवार ने भी माना कांग्रेस के बिना गठबंधन संभव नहीं, जानिए क्या हैं इस बयान के मायने? क्यों है कांग्रेस की जरूरत? 2019 से चल रहा विवाद
पंजाब कांग्रेस में सिद्धू अमरिंदर विवाद को तीन वर्ष होने को आए हैं। वर्ष 2019 में नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कैबिनेट से अपना इस्तीफा दे दिया था।
राहुल गांधी पिछले दिनों में पंजाब के कई नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। इनमें विजेंद्र, राणा गुरजीत सिंह, ढिल्लो और विधायक लखवीर सिंह शामिल हैं । यह भी पढ़ेंः शरद पवार ने भी माना कांग्रेस के बिना गठबंधन संभव नहीं, जानिए क्या हैं इस बयान के मायने? क्यों है कांग्रेस की जरूरत? 2019 से चल रहा विवाद
पंजाब कांग्रेस में सिद्धू अमरिंदर विवाद को तीन वर्ष होने को आए हैं। वर्ष 2019 में नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कैबिनेट से अपना इस्तीफा दे दिया था।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू से स्थानीय निकाय विभाग छीनकर बिजली विभाग दे दिया था। इसी बात से खफा सिद्धू ने दूसरे विभाग का कामकाज नहीं संभालने से इनकार कर दिया और बाद में अपना इस्तीफा भेज दिया था।
वर्तमान में समय में सिद्धू कोटकपूरा गोलीकांड और बेअदबी की घटना को लेकर पंजाब सरकार पर लगातार हमले कर रहे हैं।