Unlock 4.0: क्या एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं और लोगों के आवागमन पर रहेगा प्रतिबंध?
इस वैक्सीन के इस्तेमाल से पॉजिटिव रिजल्ट आने के बाद डॉक्टरों ने मीडिया से इसका अनुभव साझा किया है। डॉक्टरों का दावा है कि SARS-CoV2 वायरस की वजह से मरीज की बॉडी में काउंटर ब्लड इंफ्लेमेशन और ब्लड क्लॉटिंग की प्रॉब्लम होनी शुरू हो जाती है। ऐसे लोगों की रोकथाम में डॉक्टरों का यह दवा काफी प्रभावी दिख रहा है। पुणे के एक डॉक्टर सुभल दीक्षित ने इटली की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि यहां मरीजों की पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है कि कोविड—19की वजह से बॉडी में छोटे ब्लड क्लॉट्स का निर्माण हो रहा है इस खुलासे के बाद भारत में कुछ जगहों पर डॉक्टरों ने खून को पतला करने वाली दवाई का यूज भी शुरू कर दिया है।
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डॉ. दीक्षित ने आगे बताया कि फेफड़ों की नसों में क्लॉटिंग की वजह से कोरोना मरीजों को सांस लेने में समस्या आती है। इसके साथ ही हार्ट, ब्रेन और किडनी संबंधी समस्या भी ब्लड क्लॉटिंग का ही परिणाम है। ऐसे केसों में मॉलेक्यूलर वेट हेपारिन (LMWH) का इस्तेमाल काफी कारगर साबित हो रहा है। हालांकि इस पर अभी रिसर्च जारी है। आपको बता दें कि देश में कोरोना वायरस के मरीजों का आंकड़ा तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है। यही वजह है कि भारत में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 35 लाख के पार पहुंच गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में पिछले 24 घंटे के भीतर ही कोरोना वायरस के 78 हजार 761 नए केस दर्ज किए गए हैं। इसके साथ ही बीते एक दिन में कोरोना संक्रमण की वजह से 948 लोगों की मौत हो गई है।