पुलवामा से बड़े हमले की थी तैयारी
भारत में किसी भी स्थान पर दूसरे आत्मघाती हमले से संबंधित खुफिया जानकारी के बाद इस एयर स्ट्राइक की योजना शुरू हुई थी। सूत्रों ने कहा कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आत्मघाती हमले के महज दो दिनों बाद सरकार को खुफिया जानकारी मिली थी। खुफिया जानकारी में भारत के किसी भी हिस्से में अन्य आत्मघाती हमले के बारे में चेतावनी दी गई थी, जिसके पुलवामा की तुलना में ज्यादा बड़ा होने की बात कही गई थी।
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डोभाल ने की जेईएम को खत्म करने की प्लानिंग
दूसरे हमले की जानकारी मिलने के तुरंत बाद सरकार के शीर्ष अधिकारियों और संबंधित मंत्रियों, सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच सिलसिलेवार बैठकें हुईं, ताकि जेईएम आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
पीएम मोदी ने एयर स्ट्राइक पर लिया अंतिम फैसला
पाकिस्तान समर्थित आतंकी शिविरों पर हवाई हमले करने का अंतिम फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में लिया गया। इसमें गृहमंत्री राजनाथ सिंह, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, एनएसए अजित डोभाल और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ मौजूद थे।
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200 घंटे की तैयारी के बाद हुई एयर स्ट्राइक
सूत्र ने बताया कि बैठक में आतंकी शिविरों पर हवाई हमले करने का फैसला किया गया, क्योंकि पुलवामा हमले में शहीद सुरक्षाकर्मियों का बदला लेने और भारत में किसी भी हमले की साजिश रचने वाले जेईएम को तगड़ा झटका देने का यही एकमात्र विकल्प था। हवाई हमले के लिए 200 से ज्यादा घंटों तक योजना बनाई गई, जिसमें सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया।
पुलवामा हमले के 13वें दिन बदला लेने की तैयारी
फैसला किया गया था कि बदला पुलवामा हमले के 13वें दिन लिया जाएगा, जो जम्मू श्रीनगर राजमार्ग पर 78 वाहनों के काफिले पर आत्मघाती हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मिराज के पीछे थे सुखोई लड़ाकू विमान
अन्य सूत्र ने बताया कि 16 सुखोई लड़ाकू विमान 12 से ज्यादा मिराज 2000 लड़ाकू विमानों के पीछे थे, जिन्होंने नियंत्रण रेखा पार कई आतंकी कैंपों को निशाना बनाया। भारत ने करीब पांच दशकों में पहली बार सीमा पार कर हवाई हमले किए हैं। उन्होंने कहा कि मिराज लड़ाकू विमानों ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित अपने सैन्य अड्डे से उड़ान भरी और पंजाब के आदमपुर में मध्य हवा में ईंधन भरने के बाद बालाकोट में आतंकी शिविरों पर धावा बोला।
बालाकोट ही था भारतीय सेना का टारगेट
पुलवामा हमले के बाद जब भारत ने जवाबी कार्रवाई का फैसला किया तब से बालाकोट भारतीय खुफिया एजेंसियों के निशाने पर था, जो जेईएम का ठिकाना है। खुफिया एजेंसियों को यकीन है कि पुलवामा हमले की साजिश बालाकोट आतंकी शिविर में ही बनाई गई थी, जिसका अध्यक्ष जेईएम प्रमुख मसूद अजहर का साला’ मौलाना यूसुफ अजहर था। बालाकोट नियंत्रण रेखा से काफी दूर है, जो आतंकियों के प्रशिक्षण के लिए एक सुरक्षित स्थान है। और तो और नियंत्रण रेखा पर स्थित भारतीय चौकियों पर कार्रवाई करने वाले पाकिस्तानी सेना की बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) को भी बालाकोट में प्रशिक्षण दिया जाता है।
बालाकोट में होती थी फिदायीन हमले की तैयारी
विदेश सचिव विजय के. गोखले ने मंगलवार को मीडिया को बताया कि इस अभियान में बड़ी संख्या में जेईएम आतंकी, प्रशिक्षक, शीर्ष कमांडर और फिदायीन हमले के लिए प्रशिक्षण ले रहे जिहादी समूह मारे गए हैं। गोखले ने कहा कि भारत ने बालाकोट में जेईएम के सबसे बड़े आतंकी कैंप को निशाना बनाया। पुख्ता जानकारी मिली थी कि जेईएम देश (भारत) के विभिन्न हिस्सों में आत्मघाती हमले का प्रयास कर रहा था और इस मकसद के लिए फिदायीन जिहादियों को प्रशिक्षित किया जा रहा था।