रेल मंत्रालय ने 109 जोड़ी प्राइवेट ट्रेन चलाने के लिए प्राइवेट पार्टिसिपेशन को लेकर रिक्वेस्ट मांगी है। पूरे देश के रेलवे नेटवर्क को 12 क्लस्टर में बांटा गया है और इन्हीं 12 क्लस्टर में 109 जोड़ी प्राइवेट ट्रेनें चलेंगी।
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कोरोना काल के बीच रेलवे ने बड़ा कदम उठाया है। रेलवे ने अब कुछ पैसेंजर ट्रेनों को प्राइवेट कंपनियों के जरिये चलाने का फैसला लिया है। रेलवे के मुताबिक इसका मकसद भारतीय रेल में नई तकनीक का विकास करना है ताकि मेंटेनेंस कॉस्ट को कम किया जा सके. इसके अलावा रेलवे का दावा है कि इससे नई नौकरियों के अवसर भी पैदा होंगे।
कोरोना काल के बीच रेलवे ने बड़ा कदम उठाया है। रेलवे ने अब कुछ पैसेंजर ट्रेनों को प्राइवेट कंपनियों के जरिये चलाने का फैसला लिया है। रेलवे के मुताबिक इसका मकसद भारतीय रेल में नई तकनीक का विकास करना है ताकि मेंटेनेंस कॉस्ट को कम किया जा सके. इसके अलावा रेलवे का दावा है कि इससे नई नौकरियों के अवसर भी पैदा होंगे।
ऐसे चलेंगी ट्रेन
पूरे देश के रेलवे नेटवर्क को 12 क्लस्टर में बांटा गया है और इन्हीं 12 क्लस्टर में 109 जोड़ी प्राइवेट ट्रेनें चलेंगी। हर ट्रेन कम से कम 16 डिब्बे की होगी और यह ट्रेन अधिकतम 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी।
इन ट्रेनों का रोलिंग स्टॉक निजी कंपनी खरीदेगी। मेंटेनेंस उसी का होगा रेलवे सिर्फ ड्राइवर और गार्ड देगा।
पूरे देश के रेलवे नेटवर्क को 12 क्लस्टर में बांटा गया है और इन्हीं 12 क्लस्टर में 109 जोड़ी प्राइवेट ट्रेनें चलेंगी। हर ट्रेन कम से कम 16 डिब्बे की होगी और यह ट्रेन अधिकतम 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी।
इन ट्रेनों का रोलिंग स्टॉक निजी कंपनी खरीदेगी। मेंटेनेंस उसी का होगा रेलवे सिर्फ ड्राइवर और गार्ड देगा।
30 हजार करोड़ के इनवेस्टमेंट की संभावना
देश में 109 डेस्टिनेशन रूट पर प्राइवेट कंपनियां ट्रेन चला सकेंगी। इसमें 30 हजार करोड़ रुपये के इनवेस्टमेंट की संभावना है। पहली बार उठाया कदम
यात्री ट्रेनों के संचालन के लिए भारतीय रेलवे ने पहली बार ऐसा कदम उठाया है। रेलवे ने पहली बार प्राइवेट इन्वेस्टमेंट का रास्ता साफ किया है। इस कदम के तहत रेलवे 35 साल के लिए ये प्रोजेक्ट प्राइवेट कंपिनयों को देगी।
देश में 109 डेस्टिनेशन रूट पर प्राइवेट कंपनियां ट्रेन चला सकेंगी। इसमें 30 हजार करोड़ रुपये के इनवेस्टमेंट की संभावना है। पहली बार उठाया कदम
यात्री ट्रेनों के संचालन के लिए भारतीय रेलवे ने पहली बार ऐसा कदम उठाया है। रेलवे ने पहली बार प्राइवेट इन्वेस्टमेंट का रास्ता साफ किया है। इस कदम के तहत रेलवे 35 साल के लिए ये प्रोजेक्ट प्राइवेट कंपिनयों को देगी।
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इन सभी ट्रेक को मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही निर्मित किया जाएगा। जिन कंपनियों को मौका मिलेगा वे इसक रख रखाव से लेकर इसके संचालन और वित्तपोषण आदि चीजों की जिम्मेदारी संभालेगी। रेलवे की मानें तो इससे ट्रांजिट टाइम में कमी आएगी। रोजगार के नए अवसर मिलेंगे, सेफ्टी का भरोसा मजबूत होगा और यात्रियों को वर्ल्ड क्लास ट्रैवल का अनुभव होगा।
इन सभी ट्रेक को मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही निर्मित किया जाएगा। जिन कंपनियों को मौका मिलेगा वे इसक रख रखाव से लेकर इसके संचालन और वित्तपोषण आदि चीजों की जिम्मेदारी संभालेगी। रेलवे की मानें तो इससे ट्रांजिट टाइम में कमी आएगी। रोजगार के नए अवसर मिलेंगे, सेफ्टी का भरोसा मजबूत होगा और यात्रियों को वर्ल्ड क्लास ट्रैवल का अनुभव होगा।