विविध भारत

मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र में सियासी संग्राम, शिवसेना ने कहा- दिल्ली में लड़ी जाएगी लड़ाई

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में सोमवार को लिका कि मराठा आरक्षण की लड़ाई अब दिल्ली में लड़ी जाएगी। सामना के संपादकीय में कहा गया है कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर दिल्ली का दरवाजा खटखटाना जरूरी हो गया है।

May 31, 2021 / 07:18 pm

Anil Kumar

Political struggle in Maharashtra over Maratha reservation, Shiv Sena said – battle will be fought in Delhi

मुंबई। आरक्षण को लेकर एक बार फिर से विवाद गहराता जा रहा है। महाराष्ट्र में आरक्षण के मुद्दे पर सियासी हलचल तेज हो गई है। अदालत से लेकर सियासी गलियों में आरक्षण के मसले पर सरगर्मी बढ़ गई है।

दरअसल, बीते हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिए गए अतिरिक्त ओबीसी आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया और इसको लेकर दायर पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर दिया। दूसरी तरफ मराठा आरक्षण का मुद्दा भी उभर कर सामने आ गया है। ऐसे में आरक्षण को लेकर सियासी गलियों में पारा चढ़ा हुआ।

यह भी पढ़ें
-

मराठा आरक्षण को लेकर बोले अजीत पवार, समुदाय को हर संभव मुआवजा देने की कोशिश करेगी सरकार

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में सोमवार को लिका कि मराठा आरक्षण की लड़ाई अब दिल्ली में लड़ी जाएगी। सामना के संपादकीय में कहा गया है कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर दिल्ली का दरवाजा खटखटाना जरूरी हो गया है। संपादकीय में आगे कहा गया है “टकराव निर्णायक साबित होगा। महाराष्ट्र की राजनीति को अस्थिर करने के लिए विपक्ष मराठा आरक्षण के मुद्दे को हथियार की तरह इस्तेमाल करेगा, फिर उन्हें इसे समय रहते रोकना होगा।”

6 जून के बाद आंदोलन की चेतावनी

सामना ने कहा कि राज्यसभा सांसद छत्रपति संभाजी राजे ने मराठा आरक्षण के संदर्भ में आक्रामक भूमिका निभाई है। ‘उन्होंने 6 जून तक कोई फैसला नहीं होने पर सड़क पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है।’

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए संपादकीय में कहा गया है कि आरक्षण को लेकर ऐसा कानून बनाने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को है। इस संदर्भ में संभाजी राजे का हवाला देते हुए सामना ने कहा, “सरकार के पास तीन कानूनी विकल्प हैं। राज्य सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर कर सकता है। अगर इसे खारिज कर दिया जाता है, तो संशोधित याचिका दायर करें। यदि यह भी विफल हो जाता है तो संविधान के अनुच्छेद 37 के अनुसार राष्ट्रपति से गुहार लगाएं।”

https://www.dailymotion.com/embed/video/x81n3bj

इस वजह से महाराष्ट्र सरकार ने मराठाओं को दिया आरक्षण

सामना ने अपने संपादकीय में महाराष्ट्र के गठन में मराठा समाज के योगदान पर जोर दिया। इसमें कहा गया है कि मराठा अब प्रकृति की गिरावट के साथ-साथ रोजगार के अवसरों की कमी के कारण खराब फसल कटाई के साथ आर्थिक रूप से पिछड़ रहे हैं। इसलिए महाराष्ट्र सरकार ने शैक्षिक और सामाजिक रूप से पिछड़े मराठा समुदाय को 18 प्रतिशत आरक्षण देते हुए कानून बनाया।

यह भी पढ़ें
-

Maratha reservation: मराठा आरक्षण अभियान को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन में 50% सीमा रखी बरकरार

लेकिन अब कानूनी बाधाओं की वजह से मराठाओं को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में मराठों के स्वाभिमान बचान के लिए दिल्ली का दरवाजा खटखटाना होगा। उन्हें दिल्ली में एकजुट होकर महाराष्ट्र की लड़ाई का माहौल फिर से बनाना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के फैसले को किया था रद्द

मालूम हो को 5 मई, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा लाए गए मराठा समुदाय के लिए सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह पहले से लगाई गई 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक है।

जस्टिस अशोक भूषण, एल नागेश्वर राव, एस अब्दुल नज़ीर, हेमंत गुप्ता और रवींद्र भट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षित श्रेणी में लाने के लिए उन्हें शैक्षिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा समुदाय घोषित नहीं किया जा सकता है।

Hindi News / Miscellenous India / मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र में सियासी संग्राम, शिवसेना ने कहा- दिल्ली में लड़ी जाएगी लड़ाई

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.