प्रधानमंत्री कार्यालय ( PMO ) ने इस संबंध में गुुरुवार को एक बयान जारी कर बताया कि बुधवार शाम को पीएम मोदी ( PM Modi ) ने मंत्रालय के साथ एक समीक्षा बैठक में नीतिगत पहलों, संशोधित टैरिफ नीति और बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 में बिजली क्षेत्र से पीड़ित समस्याओं के निवारण पर चर्चा की।
कोरोना से बचाव के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले चश्मे को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की महत्वपूर्ण एडवायजरी प्रधानमंत्री ने परिचालन दक्षता बढ़ाने और बिजली क्षेत्र की वित्तीय स्थिरता में सुधार करते हुए उपभोक्ता संतुष्टि को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र, विशेष रूप से बिजली वितरण खंड की समस्याएं अलग-अलग क्षेत्रों और राज्यों में अलग हैं। इसलिए मंत्रालय को वन-साइज-फिट्स-ऑल सॉल्यूशन तलाशने के बजाय हर राज्य को अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उनके अनुरूप समाधान लागू करने चाहिए। यानी हर राज्य की समस्या के मुताबिक ही उसका समाधान खोजना चाहिए।
नई और नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र की संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला के लिए सौर जल पंपों से लेकर विकेंद्रीकृत सौर ठंड भंडारण तक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने रूफटॉप सोलर के लिए भी इनोवेटिव मॉडल पर विशेष जोर दिया। उन्होंने इच्छा जताई कि प्रत्येक राज्य में कम-से-कम एक शहर (या तो राजधानी या कोई प्रसिद्ध पर्यटन स्थल) ऐसा हो, जो रूफटॉप सौर ऊर्जा के उत्पादन के जरिये पूरी तरह से सोलर सिटी हो।
जिनपिंग ने सेना से युद्ध की तैयारी के लिए कहा, पीएम मोदी ने भी NSA-CDS और तीनों सेनाओं के प्रमुखों को बुलाया मोदी ने भारत में सिल्लियां, वेफर्स, सेल और मॉड्यूल के निर्माण के लिए इको सिस्टम विकसित करने पर भी जोर दिया, जो कई अन्य लाभों के अलावा रोजगार पैदा करने में भी मदद करेगा। उन्होंने कार्बन न्यूट्रल लद्दाख की योजना में तेजी लाने की इच्छा जताई और सौर एवं पवन ऊर्जा का उपयोग करके तटीय क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति पर जोर दिया।
डिस्कॉम समय-समय पर अपने प्रदर्शन मापदंडों को प्रकाशित करे प्रधानमंत्री ने विद्युत मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि विद्युत वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) समय-समय पर अपने प्रदर्शन मापदंडों को प्रकाशित करें, ताकि लोगों को यह पता चल सके कि उनकी डिस्कॉम का प्रदर्शन समकक्ष कंपनियों की तुलना में कैसा है। बिजली क्षेत्र में उपकरणों का उपयोग ‘मेक इन इंडिया’ के अनुरूप होना चाहिए।