अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कि हमारे प्रयासों से पूरी शताब्दी को दिशा मिलने वाली है। इस दौरान उन्होंने डॉ. कस्तूरीरंगन और उनकी पूरी टीम को धन्यावाद भी दिया। पीएम मोदी ( PM Modi ) की तारीफ से पूर्व इसरो चीफ और नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने वाले डॉ. कस्तूरीरंगन काफी भावुक नजर आए।
पीएम मोदी ने कहा कि नई नीति को जमीन पर उतारने के लिए जो भी करना होगा, वो जल्द किया जाएगा। आपको इसे लागू करने में जो भी मदद चाहिए, मैं आपके साथ हूं। शिक्षा नीति में देश के लक्ष्यों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि भविष्य के लिए पीढ़ी को तैयार किया जा सके।
कई दशकों से शिक्षा नीति में बदलाव नहीं हुआ था, इसलिए समाज में भेड़चाल को प्रोत्साहन मिल रहा था। कभी डॉक्टर-इंजीनियर-वकील बनाने की होड़ लगी हुई थी। अब युवा क्रिएटिव विचारों को आगे बढ़ा सकेगा, अब सिर्फ पढ़ाई नहीं बल्कि वर्किंग कल्चर को डवलप किया गया है।
देश में नई व्यवस्था खड़ी हो रही है, ऐसे में उसके हिसाब से एजुकेशन सिस्टम में बदलाव जरूरी है। अब 10+2 को भी खत्म किया गया है। हमें स्टूडेंट को ग्लोबल सिटीजन बनाना है लेकिन उन्हें अपनी जड़ों से जुड़े रहें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में सीखने की भाषा एक ही होनी चाहिए, ताकि बच्चों को सीखने में आसानी होगी। अभी पांचवीं क्लास तक बच्चों को ये सुविधा मिलेगी। इस बात में कोई विवाद नहीं है कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक ही होने से बच्चों के सीखने की गति बेहतर होती है।
-अभी तक शिक्षा नीति व्हाट टू थिंक के साथ आगे बढ़ रही थी, अब हम लोगों को हाउ टू थिंक पर जोर देंगे।
– बच्चों को ये मौका मिलना चाहिए कि बच्चा अपने कोर्स को फोकस करें, अगर मन ना लगे तो कोर्स में बीच में छोड़ भी सकें।
– बच्चों को पढ़ने के साथ-साथ देश की हकीकत भी जाननी जरूरी है।
– शिक्षा व्यवस्था में बदलाव, देश को अच्छे स्टूडेंट, अच्छे प्रोफेशनल्स और उत्तम नागरिक देने का बहुत बड़ा माध्यम आप सभी शिक्षक और प्रोफेसर्स ही हैं।
– भारत आज टैलेंट-टेक्नोलॉजी का समाधान पूरी दुनिया को दे सकता है, टेक्नोलॉजी की वजह से गरीब व्यक्ति को पढ़ने का मौका मिल सकता है।