स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने 5160 सेकेंड में पढ़े 9810 शब्द, अब तक का तीसरा सबसे लंबा भाषण चीनी विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि चीन, भारत के साथ आपसी विश्वास बढ़ाने और मतभेदों को ठीक से दूर करने के लिए काम करने को तैयार है। दोनों देशों के लिए एक दूसरे का सम्मान करना “सही रास्ता” है। दरअसल, चीन का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस के भाषण पर प्रतिक्रिया स्वरूप आया है। 15 अगस्त को पीएम मोदी ने भारतीय सशस्त्र बलों को मजबूत करने की बात कही थी और कहा था कि देश की क्षेत्रीय अखंडता सर्वोच्च है।
मोदी ने लाल किले से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, “इतनी आपदाओं के बीच सीमा पर भी देश के सामर्थ्य को चुनौती देने के दुष्प्रयास हुए हैं। लेकिन LOC (लाइन ऑफ कंट्रोल) से लेकर LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) तक देश की संप्रभुता पर जिस किसी ने आंख उठाई देश की सेना ने, हमारे वीर-जवानों ने उसका उसी की भाषा में जवाब दिया है।”
इस दौरान पीएम मोदी ने चीन का नाम लिए बिना पूर्वी लद्दाख में सीमा संघर्ष का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरा देश एक जोश से भरा हुआ है, संकल्प से प्रेरित है और सामर्थ्य पर अटूट श्रद्धा के साथ आगे बढ़ रहा है। इस संकल्प के लिए हमारे वीर-जवान क्या कर सकते हैं, देश क्या कर सकता है… ये लद्दाख में दुनिया ने देख लिया है। मैं आज मातृभूमि पर न्यौछावर उन सभी वीर-जवानों को लालकिले की प्राचीर से आदरपूर्वक नमन करता हूं।”
पीएम मोदी ने इस दौरान बीते 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच हुई हिंसक झड़प का जिक्र किया और लद्दाख का नाम लेकर चीन को चेतावी दी। बता दें कि इस संघर्ष में कम से कम 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे और चीन ने भी स्वीकार किया है कि उसके भी सैनिक मारे गए लेकिन अभी तक कोई आंकड़ा नहीं बताया है।
मोदी के भाषण पर टिप्पणी करने के लिए कहे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा, “हमने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को नोट किया है। हम करीबी पड़ोसी हैं, हम सभी एक अरब से अधिक जनसंख्या के साथ उभरते हुए देश हैं।”
झाओ ने सोमवार को मंत्रालय की नियमित मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “इसलिए द्विपक्षीय संबंधों का स्वस्थ विकास न केवल दो लोगों, बल्कि इस क्षेत्र और पूरे विश्व की स्थिरता, शांति, समृद्धि के हित में भी कार्य करता है। दोनों पक्षों के लिए सही रास्ता एक दूसरे का सम्मान और समर्थन करना है क्योंकि यह हमारे दीर्घकालिक हितों को पूरा करता है।”
उन्होंने कहा, “इसलिए चीन हमारे (दोनों देशों) आपसी राजनीतिक विश्वास को बढ़ाने, हमारे मतभेदों को उचित ढंग से दूर करने, व्यवहारिक सहयोग को बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों के दीर्घकालिक विकास को सुरक्षित रखने के लिए भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है।”
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण का चीनी राज्य मीडिया द्वारा भी विश्लेषण किया गया था, जिसमें कहा गया था कि चीन के संदर्भ में यह महत्वपूर्ण है कि वह आगे क्या करता है। शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनैशनल स्टडीज के एक रिसर्च फेलो झाओ गैनचेंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया, “8 अगस्त को बीजिंग और नई दिल्ली के बीच वरिष्ठ सैन्य-स्तरीय वार्ता के ताजा दौर के बाद, भारत ने अपने रुख में बदलाव का कोई संकेत नहीं दिखाया है। इसके साथ ही चीन ने भी अपना रुख बरकरार रखा है। जब दोनों देश अभी भी प्रमुख मुद्दों पर गतिरोध में हैं तो मोदी के असली इरादे अगले कदमों में सामने आएंगे।”
मोदी के भाषण का जिक्र करते हुए झाओ ने कहा कि इसे दो दृष्टिकोणों से समझाया जा सकता है, “एक यह है कि मोदी सख्त हो गए हैं और जुझारू रूप धारण कर रहे हैं। जबकि दूसरी व्याख्या यह है कि भारत सरकार ने सोचा था कि उसने चीन के प्रति अपने रवैये का प्रदर्शन करके पर्याप्त किया है। इसलिए, मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में जो कहा वह नहीं- बल्कि वह आगे क्या करेंगे बहुत महत्वपूर्ण है।”