इस सम्मेलन का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत कवर किए गए शिक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं को सामने लाना है। इस कॉन्फ्रेंस में समग्र, मल्टी लैंग्वेज, फ्यूचर एजुकेशन, क्वॉलिटी रिसर्च और शिक्षा में बेहतर पहुंच के लिए टेक्नोलॉजी के समान इस्तेमाल पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ( Ramesh Pokhriyal Nishank ) और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे भी शामिल होंगे। जबकि तमाम यूनिवर्सिटीज के कुलपति, संस्थानों के निदेशक और कॉलेजों के प्रधानाचार्य और अन्य हितधारक इस कार्यक्रम में विभिन्न विषयों के सत्रों में हिस्सा लेंगे। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की लाइव स्ट्रीमिंग सोशल मीडिया पर की जाएगी।
गौरतलब है कि देश की नई शिक्षा नीति ( National Education Policy ) को केंद्रीय कैबिनेट ( Modi Cabinet ) की मंजूरी मिल चुकी है। इससे पहले भारत की शिक्षा नीति को 34 वर्ष पहले 1986 में तैयार किया गया था और फिर 1992 में संशोधित किया गया था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने हेतु गठित समिति की अध्यक्षता डॉ. के कस्तूरीरंगन ने की थी। एनईपी 2019 और उस पर प्राप्त हितधारकों की प्रतिक्रियाओं एवं सुझावों के आधार पर समिति द्वारा इसे तैयार किया गया है।
इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया कि नई शिक्षा नीति के लिए परामर्श प्रक्रिया जनवरी 2015 में प्रारंभ की गई थी। इसके अंतर्गत चिन्हित किए गए 33 विषयों पर बहुआयामी परामर्श प्रक्रिया में ग्राम स्तर से राज्य स्तर तक जमीनी स्तर पर सुझाव हासिल किए गए। लगभग ढाई लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक, 6000 शहरी स्थानीय निकायों, 676 जिलों और 36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में एक व्यापक, समयबद्ध, भागीदारी वाली सुझाव प्रक्रिया अपनाई गई।
वहीं, शिक्षा नीति को मंजूरी दिए जाने के बारे में जानकारी देते हुए पिछले सप्ताह उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने कहा, “हमारे देश में 45 हजार से ज्यादा संबद्ध कॉलेज हैं। ग्रेडेड ऑटोनॉमी के अंतर्गत कॉलेजों को मिली मान्यता के आधार पर अकादमिक, प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता प्रदान की जाएगी। क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्सेस (ऑनलाइन पाठ्यक्रम) विकसित किए जाएंगे। वर्चुअल लैब विकसित की जाएंगी और नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम का निर्माण किया जाएगा।”