Jammu-Kashmir: Poonch में Pakistan ने संघर्ष विराम का किया उल्लंघन, तीन नागरिकों की मौत
दरअसल, शुरुआत में गुवाहाटी में दिसंबर के अंत में होने वाले मोदी-आबे शिखर सम्मेलन को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) कानून के पारित होने पर असम में विरोध प्रदर्शन के कारण टाल दिया गया था। इसके बाद चीन के वुहान से फैले कोरोना वायरस के बाद पूरे विश्व में पैदा हुए लॉकडाउन जैसे हालातों की वजह से यह सम्मेलन की तारीख तय नहीं हो पाई। आपको बता दें कि पूरी दुनिया में जहां कोरोना संकट छाया हुआ है, वहीं चीन दक्षिण चीन सागर में अपनी सीमाओं को विस्तार देने में जुटा है। इसके साथ ही चीन ने लद्दाख में भारत से टकराव के बाद एलएसी से अपनी सेनाएं हटानी शुरू कर दी हैं। हालांकि चीन अभी तक सैनिक वापसी की प्रक्रिया में तेजी नहीं लाया है।
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चीन से क्यों पराज है जापान?
आपको बता दें कि पिछले दिनों ने जापान ने दावा किया था कि चीन कोरोना वायरस महामारी की आड़ में न केवल अपनी श्रेष्ठता स्थापित करने में जुटा है, बल्कि कई देशों के साथ सीमा विवाद में भी उलझा है। यही वजह है कि चीन अब जापान और क्षेत्र के लिए भी खतरा पैदा कर रहा है। वहीं, अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने दक्षिण चीन सागर में बीजिंग के अधिकांश दावों को पहले ही खारिज कर चुके हैं। अब जापान की शिंजो आबे सरकार ने ‘डिफेंस व्हाइट पेपर 2020’ में इस बात को जिक्र किया कि चीन आक्रामक रूप से पूर्वी चीन सागर व दक्षिण चीन सागर में गलत तरीके से आगे बढ़ रहा है।