यह कामयाबी लोगों की सहायता से मिल रही है। कोरोना संक्रमण से डरने की जगह अब लोग पुलिस-प्रशासन और चिकित्सकों की मदद करने में जुटे हैं। दरअसल, बढ़ते कोरोना संक्रमितों के बीच प्रशासन ने आम लोगों का साथ लेकर कामयाबी की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। पहले सर्वे के लिए घर-घर पहुंचने वाले दलों को लोग शक की नजर से देखते थे, जब संक्रमण फैला तो लोगों ने समझदारी दिखाई और सर्वे दलों को जानकारी दी।
इससे संक्रमितों की वक्त पर पहचान होने लगी है, इसका फायदा संक्रमण की दर को कम करने के साथ ही सैंपलिंग भी तत्काल हासिल कर जांच की गति तेज होने में मिल रहा है।
मौसम अपडेटः पहाड़ों पर प्री मानसून की दस्तक, उत्तराखंड में अगले दो दिन भारी बारिश का अलर्ट कोरोना संक्रमण के चलते रेड जोन में तब्दील हो चुके उज्जैन में अब कोरोना का फैलाव काबू में होता दिखाई दे रहा है। मई माह में रोजाना मौत और 20 से 50 संक्रमित मरीज सामने आ रहे थे, अब वह घटकर 8 से 10 मरीज पहुंच गए है। वहीं, मौत का आंकड़ा स्थिर होकर 0.62 फीसदी रह गया है।
जबकि एक समय उज्जैन में कोरोना से मौत की दर 20 फीसदी तक पहुंच गई थी। वहीं जिले में लिए जा रहे सैंपल की तुलना में पॉजिटिव मरीज कम हो गए है। 1 से 11 जून के बीच जिले में 2842 संदिग्ध मरीजों के सैँपल लिए गए थे, इनमें से महज 71 ही पॉजिटिव आए हैं तो 11 दिनों में 165 मरीज पूरी तरह ठीक होकर लौट गए हैं, आठ लोगों की मौत हुई है।
इन कारणों से पकड़ी कामयाबी की राह
– प्रशासन द्वारा घर-घर सर्वे कर संदेही मरीजों को तलाश गया व उनका उपचार शुरू किया गया।
– आवश्यकता के मुताबिक कोरोना टेस्ट लिया गया, सर्वे खत्म होने के बाद फिर से सर्वे किया जा रहा है।
– उज्जैन शहर में 138 के करीब कंटेनमेंट एरिया बनाए गए थे। इनमें सीसीटीवी और ड्रोन से निगरानी रखी गई।
– रेड जोन के चलते शहर में लॉकडाउन का पालन सख्ती से किया गया।
– फालतू घुमने वाले को गिरफ्तार कर प्रकरण दर्ज किए गए। होम डिलिवरी ही रखी गई। इससे संक्रमण दर कम हुई।
– प्रशासन द्वारा घर-घर सर्वे कर संदेही मरीजों को तलाश गया व उनका उपचार शुरू किया गया।
– आवश्यकता के मुताबिक कोरोना टेस्ट लिया गया, सर्वे खत्म होने के बाद फिर से सर्वे किया जा रहा है।
– उज्जैन शहर में 138 के करीब कंटेनमेंट एरिया बनाए गए थे। इनमें सीसीटीवी और ड्रोन से निगरानी रखी गई।
– रेड जोन के चलते शहर में लॉकडाउन का पालन सख्ती से किया गया।
– फालतू घुमने वाले को गिरफ्तार कर प्रकरण दर्ज किए गए। होम डिलिवरी ही रखी गई। इससे संक्रमण दर कम हुई।
समय पर मरीजों को पहचान लिया
उज्जैन जिला कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि शहर में घर-घर सर्वे किए जाने से कोरोना संक्रमण रोकने में काफी मददगार साबित हुआ है। समय रहते ही मरीज की पहचान सही होने व उपचार समय पर मिलने से मौत का आंकड़ा भी कम हुआ है। हमारी कोशिश है कि कोरोना का फैलाव न हो और जो मरीज है उनका बेहतर उपचार हो जाए।
उज्जैन जिला कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि शहर में घर-घर सर्वे किए जाने से कोरोना संक्रमण रोकने में काफी मददगार साबित हुआ है। समय रहते ही मरीज की पहचान सही होने व उपचार समय पर मिलने से मौत का आंकड़ा भी कम हुआ है। हमारी कोशिश है कि कोरोना का फैलाव न हो और जो मरीज है उनका बेहतर उपचार हो जाए।
जांच के लिए अत्याधुनिक तकनीक अपनाई
आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक व नोडल अधिकारी डॉक्टर सुधाकर वैद्य ने बताया कि काॅलेज में करीब चार करोड़ रुपए कीमत की अत्याधुनिक मशीन स्थापित की गई है, जिससे कोरोना टेस्ट तो होंगे ही, यह भी पता चलेगा कि कोरोना से लड़ने के लिए मरीज के शरीर में प्रतिरोध क्षमता कितनी हैं। इस मशीन का उपयोग भी शुरू हो गया है। वैद्य ने बताया, कॉलेज में खून की जांच से कोरोना वायरस के आईजीजी/आईजीएम/आइजीए एंटीबॉडी की जांच क्लिया (सीएलआइए) तकनीक से होने लगी हैं।
आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक व नोडल अधिकारी डॉक्टर सुधाकर वैद्य ने बताया कि काॅलेज में करीब चार करोड़ रुपए कीमत की अत्याधुनिक मशीन स्थापित की गई है, जिससे कोरोना टेस्ट तो होंगे ही, यह भी पता चलेगा कि कोरोना से लड़ने के लिए मरीज के शरीर में प्रतिरोध क्षमता कितनी हैं। इस मशीन का उपयोग भी शुरू हो गया है। वैद्य ने बताया, कॉलेज में खून की जांच से कोरोना वायरस के आईजीजी/आईजीएम/आइजीए एंटीबॉडी की जांच क्लिया (सीएलआइए) तकनीक से होने लगी हैं।
देश में पहली बार
संभवत: देश में पहली बार इस तकनीक का उपयोग उज्जैन में हो रहा है। इसमें विटरोस 5600 मशीन के जरिए रक्त के नमूने की जांच कर कोरोना वायरस का पता लगाया जाता है। साथ ही कितनी मात्रा में प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न हुई, इसकी जानकारी भी मिल सकेगी। डॉ. वैद्य के अनुसार कॉलेज प्रमुख डॉ. वीके महादिक द्वारा अमेरिका से उक्त मशीन मंगवाई गई है।
संभवत: देश में पहली बार इस तकनीक का उपयोग उज्जैन में हो रहा है। इसमें विटरोस 5600 मशीन के जरिए रक्त के नमूने की जांच कर कोरोना वायरस का पता लगाया जाता है। साथ ही कितनी मात्रा में प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न हुई, इसकी जानकारी भी मिल सकेगी। डॉ. वैद्य के अनुसार कॉलेज प्रमुख डॉ. वीके महादिक द्वारा अमेरिका से उक्त मशीन मंगवाई गई है।
(जितेन्द्र सिंह चौहान की रिपोर्ट)
(डिस्क्लेमर : फेसबुक के साथ इस संयुक्त मुहिम में समाचार सामग्री, संपादन और प्रकाशन पर पत्रिका समूह का नियंत्रण है)
(डिस्क्लेमर : फेसबुक के साथ इस संयुक्त मुहिम में समाचार सामग्री, संपादन और प्रकाशन पर पत्रिका समूह का नियंत्रण है)