पत्रिका पॉजिटिव न्यूज कैंपेन ( Patrika Positive News ) के अंतर्गत हम आज आपको ऐसी नर्सों से रूबरू करवाएंगे जो महामारी के इस दौर में जान की परवाह किए बगैर कोविड मरीजों को ठीक करने में जुटी हैं।
यह भी पढ़ेँः जरूरतमंदों को भोजन पहुंचाने के साथ मनोबल बढ़ाने का मंत्र पहुंचा रहीं प्रियंका 1. सरिता अहलुवालियाः अपना दर्द छिपाकर दूसरों दर्द कर रहीं दूर मेडिकल इंस्टिट्यूट में नर्सिंग सुपरिन्टेन्डेन्ट लेफ्टिनेंट कर्नल सरिता अहलुवालिया पिछले एक साल से ज्यादा वक्त से कोविड मरीजों के इलाज में जुटी हुई हैं। वे कहती हैं हमने अपने परिवार के लोगों को भी इस महामारी में खोया है, बावजूद इसके हर वक्त लोगों की जान बचाने का जज्बा हमें सकारात्मक रखता है।
वे कहती हैं जब किसी मरीज के चेहरे पर मुस्कान देखते हैं उसे ठीक होता देखते हैं तो सारी चिंताएं दूर हो जाती है। सरिता बताती हैं, ‘मैं पिछले साल से कोरोना मरीजों को देख रही हूं। मेरे घर में 5 लोग हैं, जिनमें मेरी डेढ़ साल की नातिन भी है। उनकी जिंदगी को लेकर मुझे डर लगता है। लेकिन उससे कहीं ज्यादा फिक्र कोरोना मरीजों की रहती है, जब एक मरीज को घर भेजते हैं तो हौसला और बढ़ जाता है।
2. मंजू सिंहः मुस्कुराकर देते हैं पॉजिटिव एनर्जी
हॉस्पिटल में नर्स मंजू सिंह बताती हैं कि मुश्किलें हम लोगों के सामने कम नहीं होती है, कभी किसी मरीज की सांसे फूलने की खबर मिले तो दौड़कर वहां जाना, कभी इधर दौड़ना, कभी उधर। इन तमाम मुश्किलों के बीच हर वक्त मुस्कुराना रहता है। घर की परेशानियों को भूलकर मरीजों में पॉजिटिव एनर्जी लाना होती है। उन्हें ये भरोसा दिलाना होता है कि वे जल्द ठीक हो जाएंगे।
हॉस्पिटल में नर्स मंजू सिंह बताती हैं कि मुश्किलें हम लोगों के सामने कम नहीं होती है, कभी किसी मरीज की सांसे फूलने की खबर मिले तो दौड़कर वहां जाना, कभी इधर दौड़ना, कभी उधर। इन तमाम मुश्किलों के बीच हर वक्त मुस्कुराना रहता है। घर की परेशानियों को भूलकर मरीजों में पॉजिटिव एनर्जी लाना होती है। उन्हें ये भरोसा दिलाना होता है कि वे जल्द ठीक हो जाएंगे।
मैं हमेशा मरीजों से यही बात करती हूं, कि वे इस जंग को जल्द जीतकर अपने घर लौटेंगे। जब वे लौटते हैं तो अपने सारे गम भूल जाती हूं। मंजू खुद कोरोना पॉजिटिव हो चुकी हैं, लेकिन जैसे ही उन्होंने जंग जीती तुरंत लोगों की सेवा में जुट गईं।
3. पीएस तिवारीः खाना-पीना छोड़कर सेवा में जुटीं
सीनियर नर्सिंग ऑफिसर पीएस तिवारी बताती हैं, कि कोरोना मरीजों की सेवा के लिए मैंने अपनी बीमारी को एक तरफ रख दिया है। मुझे डायबिटीज और बीपी दोनों की समस्या है, लेकिन कोविड रोगियों की जान बचाना पहला मकसद है। कई बार पीपीई किट के चलते हम वॉशरूम नहीं जा सकते, ऐसे में घंटो पानी ही नहीं पीते। कई बार खाना भी पूरे दिन नहीं खा पाते हैं।
सीनियर नर्सिंग ऑफिसर पीएस तिवारी बताती हैं, कि कोरोना मरीजों की सेवा के लिए मैंने अपनी बीमारी को एक तरफ रख दिया है। मुझे डायबिटीज और बीपी दोनों की समस्या है, लेकिन कोविड रोगियों की जान बचाना पहला मकसद है। कई बार पीपीई किट के चलते हम वॉशरूम नहीं जा सकते, ऐसे में घंटो पानी ही नहीं पीते। कई बार खाना भी पूरे दिन नहीं खा पाते हैं।
यह भी पढ़ेंः patrika positive news सक्रिय और दैनिक मामलों में कमी, टेस्टिंग में आई तेजी 4. प्रियंकाः महीनों से नहीं गईं घर
नर्स प्रियंका पिछले कई महीनों से अपने घर ही नहीं गई हैं। वे बताती हैं कि ड्यूटी करने के लिए मैंने अपने मम्मी-पापा से दूरी बना ली है। रेंट पर रूम लेकर रहने लगी हूं। मेरी साथी सिस्टर्स हैं, उन्होंने अपने बच्चे को उनके दादा-दादी के पास छोड़ा हुआ है। बच्चों से मिले ही बहुत समय हो या है, बस वीडियो कॉल से देख लेते हैं।
नर्स प्रियंका पिछले कई महीनों से अपने घर ही नहीं गई हैं। वे बताती हैं कि ड्यूटी करने के लिए मैंने अपने मम्मी-पापा से दूरी बना ली है। रेंट पर रूम लेकर रहने लगी हूं। मेरी साथी सिस्टर्स हैं, उन्होंने अपने बच्चे को उनके दादा-दादी के पास छोड़ा हुआ है। बच्चों से मिले ही बहुत समय हो या है, बस वीडियो कॉल से देख लेते हैं।
कुछ ऐसे ही मुश्किलों के बीच ये सभी नर्सें अपने कर्तव्यों का ना सिर्फ पालन कर रही हैं, बल्कि मिसाल बन कर दूसरों को प्रेरित भी कर रही हैं। कोरोना की दूसरी लहर भले ही कांटों से भरी है, लेकिन उनक कांटों के बीच इस तरह के सेवक फूलों का कालीन बिछाने में जुटे हैं।